जमशेदपुर 10 जनवरी
झारखंड में भाजपा को लेकर चल रही तरह तरह की अटकलों के साथ साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का झारखंड के सुदूर देहाती क्षेत्रों में लगातार भ्रमण और दौरा जारी है। कल अपने संसदीय क्षेत्र मे ंशहीद
मेला के बाद आज पतराहातु गौडिय़ा मिशन स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुए। बुंडु में भी कार्यकर्ताओं ने उनका अभिवादन किया और सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा सिल्ली में आजसू नेता सुदेश महतो के साथ मिलन। अर्जुन मुंडा ने सोसल साइट पर सुदेश महतो के साथएक तस्वीर साझा करते हुए लिखा – सिल्ली में मेरे छोटे भाई और राजनीतिक साथी सुदेश के साथ। विदित हो कि इस बार भाजपा और आजसू में गठबंधन नहीं हो पाया और इसका खामियाजा दोनो दलों को भुगतना पड़ा है। माना जा रहा है कि यदि दोनो दल साथ चुनाव लड़े होते तो कई सीटों पर इनको फायदा हो सकता था।
दूसरी ओर सोशल मीडिया क्या हो गया जो किसी ने अगर यहां कुछ पोस्ट कर दिया तो उसे लोग हाथों हाथ फारवर्ड कर कौआ कान लेने वाली कहावत चरितार्थ करने लगते हैं। एक ऐसा ही मामला आज शाम से देखा जा रहा है कि बाबूलाल मरांडी भाजपा में शामिल हो गये हैं और 15 जनवरी के बाद भाजपा उन्हें नेता प्रतिपक्ष घोषित कर देगी। दरअसल बाबूलाल मरांडी के निकटवर्ती सूत्रों ने कहा कि वे दो दिन पूर्व ही विदेश यात्रा पर निकल गये। सदन के अंतिम दिन की कार्रवाई में और फोटो सेशन में वे मौजूद भी नहीं थे। भाजपा में बाबूलाल के शामिल होने की सूचना किसी स्तर पर न घोषित है और न ही इसकी पुष्टि हुई है। अंदर खाने मेंचल रही चर्चाओं की मानें तो वे भाजपा में आ सकते हैं। भाजपा उन्हें साल 2014 में ही लेने के लिये तैयार थी। इस बारका चुनाव परिणाम दोनो को ऐसीस्थिति में ला दिया जब कोई बारगेर्निंग की स्थिति में नहीं दिखता है। दोनो पक्ष विन विन स्थिति में ही हैं। लेकिन अभी इस समीकरण को सिद्ध करने के साथ साथ अभी कई जोड़ घटाव आसान नहीं दिखता। रघुवर सरकार ने सीएनटी एसपीटी एक्ट में बदलाव कर आदिवासी समाज को आंदोलित किया तो बाबूलाल मरांडी के समय की तत्कालीन भाजपा सरकार डोमेसाइल के मुद्दे पर लगी आग मे ं जल चुकी है। डोमिसाइल की आग ही उस समय बाबूलाल सरकार के पतन का दीर्घकालिक कारण बना था। बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को समर्थन देने की घोषणा की है। चुनाव परिणाम के तत्काल बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने के सवाल पर उसे साफ नकारते हुए कहा भी है कि भाजपा में जाने का सवाल ही नहीं होता। वैसे राजनीति में संभावनाओं का खेल उसी तरह सजाया जाता है जैसे जादुगर हाथ की सफाई दिखाते हुए बंद टोकरी से कभी फूल तो कभी कुछ निकाल देते हैं।
झारखंड प्रदेश में भाजपा को लेकर अचानक जिस तरह के हालात बने हैं उस कारण भाजपाइयों के साथ साथ अन्य लोगों में भी पार्टी की गतिविधियों पर नजर टिकी हुई है। पार्टी के विधायक दल के नेता पर फैसला खरवांस के नाम पर 15 जनवरी तक के लिये टाल दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष कौैन बनेगा, इसे लेकर भी सस्पेंस हैं। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उनको पद पर बने रहने को कहा गया है। वे खुद चुनाव हार गये हैं इस कारण उनकी सक्रियता भी कम ही दिखती है।