चेशायर होम जमशेदपुर में रहने वाले विशेष बच्चों पिछले करीब तीन दशकों से कोई विशेष ध्यान रखताहै तो उसका जिक्र होना स्वाभाविक है। साल 1996 से जमशेदपुर रेलवे स्टेशन से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित चेशायर होम में रहने वाले विशेष बच्चों पर माधुरी दीक्षित के प्रशंसक पप्पू सरदार का जो विशेष स्नेह बरसता है, उसकी सर्वत्र चर्चा होती है । माधुरी दीक्षित के नाम पर की जा रही उसकी इस अनवरत सेवा को लेकर देश-विदेश में उसके नाम का चित्र यूं ही नहीं होता। ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित इस संस्था ने भी आगे बढक़र पप्पू सरदार द्वारा किए जाने वाले विशेष आयोजनों को स्वीकार किया है। यह भी उसे संस्था का बड़प्पन ही दर्शाता है । अभी होली का अवसर आने वाला है और पप्पू सरदार यहां निवास करने वालों के जीवन में रंग भरने के उद्देश्य से हर बार की तरह इस बार भी कुछ खास करने की तैयारी में है।
दरअसल होली, दीपावली, रक्षाबंधन जैसे त्योहार तो बहाना मात्र है ,पप्पू सरदार इन विशेष बच्चों के बीच पहुंचने का कोई न कोई अवसर तलाश ही लवेते हैं। उनके साथ दो चार पल की जो खुशियां साझा करते हैं वह वहां रहने वाले उन विशेष लोगों के लिये बहुत खास होता है। उन विशेष लोगों के जीवन में कितना रंग पप्पू भर पाते हैं इसका जिक्र यहां से कर पाना मुश्किल है ।
पप्पू सरदार को जानने वाले कहते हैं कि 1996 में जब पहली बार पप्पू सरदार ने चेशायर होम जाकर माधुरी दीक्षित के जन्मदिन के अवसर पर विशेष आयोजन किया तो किसी ने सोचा नहीं था कि आज वह ऐसा रुप धारण कर लेगा। यही वह स्थान है जिसने पप्पू सरदार की इस सेवा को पूरी दुनियां में नाम दिलाया। लोग भी जानें कि यह एक ऐसा स्थल है जहां जाकर कोई अपनी खुशियों को बांट सकता है। आज आलम यह है कि अपना जन्मदिन मनाने के साथ अपने माता-पिता बच्चों, शुभचिंतकों का जन्मदिन मनाने के लिये बड़ी संख्या में लोग यहां चेशायर होम पहुंचते हैं।इन विशेष बच्चों के बीच पहुंचकर ऐसे आयोजनों के जरिए आत्म संतुष्टि प्राप्त करते हैं ।
पप्पू सरदार कहते हैं कि जीवन में उन्होंने जो भी अर्जित किया है वह सब आम लोगों के स्नेह का ही परिणाम है। पप्पू सरदार को कई लोग यह भी कहते हैं कि इतना पैसा लुटाने की क्या जरुरत है, लेकिन अपने अंदाज में पप्पू का उनको जवाब मिल जाता है। चेशायर होम जैसे मिशनरी संस्थान द्वारा संचालित स्थल पर ऐसे ऐसे आयोजनों के जरिए वहां प्रवास करने वाले विशेष लोगों को जीवन के कुछ खुशी के पल प्रदान किए जाते हैं ।इस संस्था से जुड़ी सिस्टर भी सब कुछ भूल कर पप्पू के सेवा भाव, मानवता की सेवा करने के तरीके की कायल रहती हैं। कोई यदि मानवता की सेवा के लिए आगे बढक़र आता है तो सर्व धर्म समभाव का यह अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है। शायद इसके बड़ा उदाहरण कहीं और देखने को नहीं मिलेगा पप्पू सरदार ने जब साकची स्थित अपनी मनोहर चाट दुकान पर माता के जागरण का आयोजन करते हैं तो भी चेशायर होम के इन विशेष मेहमानों को जरुर आमंत्रित कियाजाता है। वे सिस्टर के साथ यहां पहुंचकर माता के भजन का आनंद उठाते हैं। सभी खुशी-खुशी उनके इस आयोजन के भागीदार बनते हैं। रक्षाबंधन के अवसर पर चेशायर होम पहुंचकर पप्पू सरदार की कलाइयां भर जाती हैं । उन विशेष बहनों के लिये उपहार लेजाने और स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था करना पप्पू नहीं भूलते।
जब करीब ढाई दशक पहले पहली बार माधुरी दीक्षित के नाम पर चेशायर होम में ं पप्पू सरदार में माधुरी पार्क बनवाया था तो यह किसी अजूबे से काम नहीं था ।उसके बाद कई बड़ी फिल्मीहस्तियां भी चेशायर होम पहुंची इनमें अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, प्रख्यात कोरियोग्राफर सरोज खान जैसेे बड़े नाम भी शामिल है। पप्पू सरदार का माधुरी दीक्षित के प्रति समर्पण प्रेम जग जाहिर है और माधुरी दीक्षित की नई फिल्मों की शो का आनंद उठाने के लिए भी वे विशेष बच्चों के लिए व्यवस्था करते रहते हैं। चाहे साल 2002 में आई देवदास हो या फिर आ जा नचले या फिर रितिक रोशन की सुपरहिट फिल्म कोई मिल गया । विशेष बच्चों के लिये पूरी व्यवस्था सिनेमा हॉल में पप्पू सरदार करवाते हैं और सिनेमा हॉल के संचालक भी आगे बढक़र उन विशेष मेहमानों की आगवानी में तत्पर दिखते हैं। माधुरी दीक्षित के पिता शंकर दीक्षित और माता दीक्षित स्नेहलता दीक्षित के निधन के बाद पप्पू सरदार ने चेशायर होम जाकर श्रद्धांजलि सभा एवं श्राद्ध भोज का आयोजन किया था जो अपने आप में एक अनोखी बात है माधुरी दीक्षित के नाम पर हुए मंदिर निर्माण से लेकर अजमेर शरीफ तक में योगदान देते रहते हैं जो सलाई गौशाला में उन्होंने गोदान भी किया था।