ब्रजभूषण सिंह
जमशेदपुर, 10 जनवरी : भाजपा अध्यक्ष एवं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि झारखंड में भाजपा की हार गहन आत्मचिंतन का विषय है. यह बात उन्होंने एक टीवी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कही. अमित शाह ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में जनादेश हमारे पक्ष में ही रहा लेकिन झारखंड में नहीं आया. यहां भाजपा की हार हुई. अध्यक्ष ने इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह अध्यक्ष के नाते मेरी हार है. श्री शाह ने यह बात उस सवाल के जवाब में कही कि क्या झारखंड में यह हार रघुवर दास की हार है. इस पर अमित शाह ने कहा- मेरी हार है.
जब अमित शाह से पूछा गया कि झारखंड में रघुवर दास का नेता के रूप में चयन क्या पार्टी का गलत निर्णय साबित हुआ क्योंकि वे स्थानीय चेहरा नहीं थे. श्री शाह ने कहा कि हमने एक स्थापित परंपरा के विपरीत जाकर नेता चयन के रूप में एक प्रयोग किया. जाति-धर्म या समुदाय नहीं परफॉरमेंस के आधार पर नेता चुना गया. किन्तु जब परिणाम प्रतिूकल आते हैं तब ढेरों सवाल उठते हैं. लेकिन एक बात तय है कि झारखंड में रघुवर सरकार ने बहुत काम किये.
इस सवाल पर कि क्या सरयू राय को भाजपा द्वारा टिकट नहीं देना भी हार के कारणों में प्रमुख है, अध्यक्ष ने कहा चुनाव में हार का कोई एक कारण नहीं होता. उन्होंने कहा सारी बातों पर विचार होगा. यह हार हमारे लिए आत्मचिंतन का विषय है.
वैसे भाजपा के लिए आत्मचिंतन का विषय तो झारखंड में पिछले पांच वर्षों के दौरान कई बार सामने आए लेकिन कभी उसने चिंतन नहीं किया. मोदी लहर पर सवार हुई पार्टी को हर विधानसभा उपचुनाव में झटका खाने को मिला, लेकिन वह कभी नहीं चेती. झारखंड में रघुवर सरकार ने बहुत काम किए लेकिन चुनाव में उन्हें मुद्दों के रूप में उछालने के बजाए, कश्मीर 370, राम मंदिर, नागरिकता बिल तो मोदी लहर की चर्चा की जाती रही? रघुवर सरकार के कार्यों को चुनाव प्रचारों में तवज्जो नहीं दी गयी. क्यों? रघुवर सरकार ने सीएनटी और एसपीटी में बदलाव करने का साहस किया था, फिर उसे वापस क्यों करा दिया गया? इसी तरह रघुवर सरकार ने स्थानीय नीति को भी पारिभाषित करने का काम किया किन्तु इसे भी नहीं प्रचारित किया गया, क्यों? रघुवर सरकार ने सैंकड़ों करोड़ रुपये झारखंड में मोमेंटम लाने और प्रतीक स्वरूप हाथी को उड़ाने में खर्च किया. इसकी भी चर्चा नहीं की गयी. नक्सलियों को 20 फीट जमीन में गड्ढा खोदकर गाड़ देने का काम किया. यह बात अलग है चुनाव आयोग ने इसे नहीं माना और झारखंड में नक्सलियों के प्रभाव को देखते हुए पांच चरणों में मतदान संपन्न कराया. नक्सलियों ने भी फिर गड्ढे से सिर निकाल कर केन्द्रीय गृह मंत्री की सभा होते ही देर शाम उसी इलाके में बड़ा विस्फोट कर दिया.
सरयू राय ने ट्विटर के माध्यम से अमित शाह की टिप्पणियों पर अनेक प्रतिक्रियाएं दी हैं. श्री राय कहते हैं कि भाजपा अध्यक्ष विगत 5 वर्षों में झारखंड के विकास की असलियत पता करें तब इस बारे में मीडिया में बोलें. इन दिनों यहां केवल विकास कार्यक्रमों को लागू करने में ही भ्रष्टाचार नहीं हुए हैं, बल्कि भ्रष्टाचार करने की नीयत से ही विकास कार्यक्रम चलाए गए हैं. अपने लोगों से ही पूछ लें. नई विधानसभा के पहले सत्र में भी सरयू राय ने पिछली सरकार के कार्यकलापों और तौर तरीकों पर विस्तार से कई बातें उठाईं जो भाजपा की फजीहत के लिए सीधे जिम्मेवार मानी जा रही हैं.