नीमडीह : राहत भरी खबर – पुलिस प्रशासन की सक्रियता से दंगा टला, गांव में शांति बहाल

चांडिल । जिले के नीमडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत झिमड़ी गांव में बुधवार से दो समुदाय के बीच तनाव का माहौल बना हुआ था, जिसपर शुक्रवार को पूर्णविराम लग गया। एक धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण करने के प्रयास के बाद झिमड़ी गांव में दंगा होने की संभावना बनी हुई थी। लेकिन पुलिस प्रशासन की सक्रियता से दंगा टल गया और गांव में शांति व्यवस्था बहाल हुई। दो समुदाय के बीच तनाव को शांत कराने में सरायकेला खरसावां पुलिस अधीक्षक डॉ बिमल कुमार ने महती भूमिका निभाई है। इसके लिए वाकई में पुलिस अधीक्षक बधाई के पात्र हैं।

दरअसल, नीमडीह थाना क्षेत्र के झिमड़ी गांव के हाटतोला के समीप हिंदु धर्मालंबियों का आस्था देव शाल स्थित है। जहां एक बड़ा पत्थर है, जिसकी लोग पूजा करते हैं।
बताया जा रहा है कि बुधवार की रात एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा देव शाल के उस पत्थर को हटाकर रातोंरात टीना शेड निर्माण कर दिया गया था। गुरुवार सुबह जब ग्रामीणों ने देखा तो सबसे पहले सरायकेला खरसावां के पुलिस अधीक्षक डॉ बिमल कुमार को फोन पर जानकारी दी। वहीं, पुलिस अधीक्षक से आस्था स्थल के संरक्षण और शांति व्यवस्था स्थापित करने का आग्रह किया था। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने तत्काल नीमडीह थाना प्रभारी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर गुरुवार को नीमडीह थाना प्रभारी मोहम्मद तांजिल खान घटना स्थल पहुंच कर अक्रोशित ग्रामीणों को समझाया और आवश्यक कारवाई शुरू कर दी। आज शुक्रवार को नीमडीह के प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमार एस अभिनव, अंचल अधिकारी अभिषेक कुमार, थाना प्रभारी मोहम्मद तांजिल खान, तिरूलडीह थाना प्रभारी चित्तरंजन कुमार, एस आई भास्कर ठाकुर, एएसआई रंजित प्रसाद सेट दल बल के साथ झिमड़ी गांव पहुंचे। वहीं, सरकारी अमीन द्वारा जमीन की मापी करवाया। मापी के बाद धार्मिक स्थल को चिन्हित कर दिया गया। वहीं, विशेष समुदाय द्वारा अतिक्रमण किए गए जमीन को तत्काल खाली करने का निर्देश दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस बल के मौजूदगी में तुरंत अतिक्रमण भूमि पर बने टीना शेड हटाया गया।

झिमड़ी सोलोआना दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र महतो ने बताया कि झिमड़ी के करीब तीन सौ साल पुरानी हिंदुओं के आस्था देव शाल पत्थर को एक विशेष समुदाय के व्यक्ति द्वारा हटाकर उस स्थान पर टीना शेड का मकान बनाया गया था। उन्होंने कहा कि यह देव शाल पत्थर काफी प्राचीन है। उन्होंने कहा कि तीन सौ साल पहले से यहां चड़क पुजा के पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ की पुजा के पूर्व पाटा को धार (शाल) दिया जाता है। उन्होंने पुलिस व प्रशासन के कार्यशैली की सराहना की है।

Share this News...