जमशेदपुर 5 फरवरी संवाददाता
राहुल गाँधी की राजनीतिक समझ को सलाम! भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान धनबाद कोलफील्ड से गुजरते समय कोयले के अवैध उत्खनन के मॉडस ऑपरेण्डी को समझें बिना चोरी के कोयले के धंधे को युवाओं और लोगों की मजबूरी बतायी। राहुल गांधी के यू ट्यूब हैंडल पर धनबाद में होने वाले कोयले के धंधे की कुछ तस्वीर और वीडियो अपलोड किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि साइकिल पर सैकड़ों किलो वजन मीलों दूर पैदल पहुंचाना और छोटी से आमदनी। कहां है न्याय? राहुल ने चोरी के इस धंधे को न्याय के सवाल साथ जोडक़र चोरी के मॉडस ऑपरेण्डी ( तौर तरीके ) को क्या बढ़ावा देने का काम नहीं किया? विदित हो कि कोयले की चोरी के इस तरीके की पुलिस भी अनदेखी कर अपनी हिस्सेदारी वसूलती है। कोयला क्षेत्र में इस तरह कोयले की चोरी खुलेआम होती है। दर असल अवैध ढंग से खनन और कोयला साइडिंग से साइकिल पर कोयला की ढुलाई चिंटियों की कतार की तरह होती है. इस प्रकार कोयला उठाकर उस को एकस्थान पर जमा किया जाता है जहां से कोयला धंधेबाज फर्जी कागज बनाकर इस कोयले को ट्रकों में लादकर उसे बेच देते हैं। सालों साल से पुलिस की मिली भगत से चोरी का यह खेल चल रहा है। आश्चर्य है राहुल गांधी ने इसे न्याय से जोड़ दिया, जबकि झारखण्ड के उनकी पार्टी के नेता इस धंधे और ढुलाई के तरीके से भलीभांति अवगत है । क्या उन्होंने अपने इस बड़े पीढ़ी दर पीढ़ी राजनीति कर रहे बड़े नेता को इस साइकिल वाले धंधे की सही कहानी नहीं बतायी ?
राहुल साइकिल पर कोयला ले जाने वाले व्यक्ति से पूछते हैं कि कोयला का वजन कितना है तो वह बताता है 210 किलो, फिर वे पूछते हैैं कि कितना कमा लेते हो तो वह कहता है तीन दिन में हजार रुपया। उनके साथ चल रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर कहते हैं बिलकुल कैश का काम है।
ज्ञात हो कि सामाजिक न्याय के तहत ही तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा गाँधी ने निजी खान मालिकों के हाथ से लेकर कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया. इस प्रकार से धंधा उसी समय से चलता आया है. उस समय केंद्र में न कांग्रेस सरकार ने इस प्रकार के गैर कानूनी रोजगार को कानूनी अमला जामा पहनाया, न आज पिछले चार वर्षों से झारखण्ड में चल रही कांग्रेस की गठबंधन वाली राज्य सरकार ने साइकिल पर कोयले की ढुलाई का रूप बदल कर युवाओं को तरीके से काम करना सिखाया, उलटे पिछले कुछ वर्षों में कोयला क्षेत्र में कोयले की चोरी ने पराकाष्ठा पार की.