CJI बोले- साथी चुनने का अधिकार सबको,
: समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ये निर्देश दिए हैं
मुख्य न्यायाधीश ने सरकार को ये निर्देश दिए हैं
1. केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि समलैंगिक जोडों के साथ भेदभाव न हो
2. लोगों को उनके प्रति जागरूक करें
3. उनकी सहायता के लिए हेल्पलाइन बनाएं
4. किसी बच्चे का सेक्स चेंज ऑपरेशन तभी हो, जब वह इसके बारे में समझने योग्य हो जाए
5. किसी को जबरन सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव वाला हॉरमोन न दिया जाए
6. पुलिस ऐसे जोड़ों की सहायता करे
7. उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ परिवार के पास लौटने के लिए मजबूर न किया जाए
8. ऐसे जोड़ों के खिलाफ FIR प्राथमिक जांच के बाद ही दर्ज हो
समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने का हक देने के पक्ष में हैं
किसी व्यक्ति को शादी करने का अधिकार उसको भारत के संविधान का अनुच्छेद 19(1)(e) देता है. सीजेआई ने कहा, यह सही है कि कुछ मामलों में साथी चुनने के अधिकार पर कानूनी रोक है. जैसे प्रतिबंधित संबंधों में शादी, लेकिन समलैंगिक तबके को भी अपने साथी के साथ रहने का अधिकार उसी तरह है, जैसे दूसरों को है.
अविवाहित जोड़े को बच्चा गोद लेने से रोकने वाले प्रावधान गलत हैं. इससे समलैंगिक जोडों के साथ भी भेदभाव होता है. इस तरह का प्रावधान अनुच्छेद 15 (समानता) का हनन है. (यानी CJI समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने का हक देने के पक्ष में हैं)
: अदालत संसद के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहती है
सीजेआई ने कहा हर व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह खुद को किस (स्त्री या पुरुष) तरह से पहचानता है. संविधान के मुताबिक इस अदालत की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करे. शहर में रहने वाले सभी व्यक्तियों को एलीट व्यक्तियों के खांचे में नहीं रखा जाना चाहिए.
सीजेआई ने आगे कहा, यह संसद को तय करना है कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं अदालत संसद के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहती है.