दिल्ली के प्रगति मैदान के नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहे इस सम्मेलन में राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन समेत कई बड़े देशों के लीडर्स ने हिस्सा लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में आ रहे सभी वैश्विक नेताओं का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में हो रहा है। जी20 शिखर सम्मेलन का पहला दिन नौ सितंबर को शुरू हो चुका है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना संबोधन भी दे चुके है। सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच सम्मेलन में कई मुद्दों पर चर्चा और विचार विमर्श भी हो रहा है।
दिल्ली के प्रगति मैदान के नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहे इस सम्मेलन में राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन समेत कई बड़े देशों के लीडर्स ने हिस्सा लिया है। इस सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में आ रहे सभी वैश्विक नेताओं का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। जी20 सम्मेलन के पहले दिन ही दुनिया भर के वैश्विक नेता दिल्ली में इक_ा हुए है। इसी बीच पूरी दुनिया ने जी20 सम्मेलन के जरिए भारत की झलक भी देखी है। यहां भारतीय कला, संस्कृति, योग, कोणार्क चक्र, नटराज आदि की झलक भी दुनिया को देखने को मिली है।
कोणार्क चक्र से सजा भारत मंडपम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने आ रहे विश्व के नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाई। इस दौरान नेताओं के साथ अगर किसी ने ध्यान खिंचा तो वो था ओडिशा के सूर्य मंदिर का कोणार्क चक्र। पीएम मोदी ने कोणार्क चक्र के प्रतिबिंब के आगे ही सारी फोटो खिंचवाई है। इसे जी20 में प्रदर्शित करने के कई मायने बताए गए है।
इतिहासकारों के अनुसार कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। इसका निर्माण राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। कोणार्क का सूर्य मंदिर बेहद खास है। इसमें बने चक्र या पहिये में 24 तीलियां शामिल है। ये पहिया बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में भी इसे ही शामिल किया गया है। ये चक्र या पहिया भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक माना जाता है।
माना जाता है कि कोणार्क चक्र की घूमती गति समय, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नटराज की प्रतिमा
जी20 के आयोजन के वेन्यू यानी भारत मंडपम के कन्वेंशन हॉल के एंट्रेंस पर ही बेहद शानदार नटराज की प्रतिमा लगाई गई है जो कि सबसे बड़ी नटराज की मूर्ति बताई गई है। ये प्रतिमा 28 फुट ऊंची है। बता दें कि नटराज भगवान शिव की प्रतिमा है जो ‘नृत्य के देवता’ के तौर पर है। नटराज की ये प्रतिमा भगवान शिव के सृजन और विनाश की शक्ति को प्रदर्शित करती है। इदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के मुताबिक नटराज की ये मूर्ति अष्टधातु यानी आठ धातुओं से निर्मित नटराज की सबसे ऊंची मूर्ति है। जानकारी के मुताबिक इस विशाल मूर्ति के निर्माण में आठ धातुओं का उपयोग हुआ है जिसमें तांबा, जस्ता, सीसा, टिन, चांदी, सोना, पारा और लोहा शामिल है। इस मूर्ति में 82त्न तांबा, 15त्न कांस्य और 3त्न सीसा होता है। बाकी धातुएं थोड़ी ही मात्रा में होती है। इस मूर्ति को तमिलनाडु के स्वामी मलाई के मूर्तिकार राधाकृष्णन स्टापति और उनकी टीम ने बनाया है।
बता दें कि भारत मंडपम में इस मूर्ति को लगाए जाने का खास कारण भी है। बता दें कि नटराज का ये स्वरूप भगवान शिव के आनंद तांडव को दर्शाता है। भगवान शिव की इस प्रतिमा को ध्यान से देखने पर उनकी नृत्य मुद्रा दिखती है। इसमें वो एक पैर से दानव को दबाकर रखते है। शिव का ये स्वरूप सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का संदेश देता है।
योग कला भी की गई प्रदर्शित
इस भारत मंडपम में योग मुद्रा की प्रतिमा भी लगाई है। गौरतलब है कि योग भारतीय सभ्यता की विश्व को महत्वपूर्ण देन है। योग के जरिए ही पूरी दुनिया को एकजुट किया गया है। इसके अलावा सम्मेलन स्थल पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की कई कलाओं और प्रतीक भी यहां देखने को मिलेंगे।