दो साल की बच्ची के पेट से निकले 200 से अधिक पत्थर, डॉ एन सिंह ने की निःशुल्क सर्जरी

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जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दो साल की एक बच्ची के पेट से 200 से अधिक पत्थर निकला है, जिसे देख हर कोई हैरान है। वहीं, सर्जरी करने वाले डाक्टर भी हैरान हैं। आदित्यपुर निवासी तनीषा कुमारी (दो वर्ष) को बीते तीन माह से पेट में तेज दर्द होता था। इस दौरान वह आस-पास के डाक्टर से दिखाई तो उनके द्वारा दवा दर्द का दवा दिया गया, जिससे दर्द कम हो जाता था। इसी बीच, किसी ने डा. नागेंद्र सिंह की
जानकारी दी तो वह मानगो गंगा मेमोरियल अस्पताल आई। इस दौरान जांच हुई तो पता चला कि बच्ची के पेट में पत्थर है लेकिन इतनी संख्या में है इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। बच्ची की सर्जरी तीन चिकित्सकों ने मिलकर की है। इसमें डा. नागेंद्र सिंह, डा. रुद्र प्रताप व डा. अभिषेक शामिल हैं।
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डा. नागेंद्र सिंह ने की निश्शुल्क सर्जरी
तनीषा के पिता दिलीप मुखी मजदूरी का कार्य करते हैं। सर्जरी के लिए उनके पास पैसा नहीं था। यह सूचना डाक्टर नागेंद्र सिंह तक पहुंची। उन्होंने कहा आप पैसा का चिंता नहीं करें। इस बेटी का इलाज मैं करुंगा। डा. नागेंद्र सिंह ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान पूरे देश में चल रहा है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी बनता है कि इन बेटियों को आगे बढ़ाएं। यह सर्जरी अगर किसी दूसरे अस्पताल में होती तो लगभग एक लाख रुपये खर्च आता लेकिन डा. नागेंद्र सिंह ने निश्शुल्क सर्जरी कर मिसाल कायम की है।
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जटिल था आपरेशन करना
तनीषा की सर्जरी आधुनिक तकनीक दूरबीन पद्धति से हुई है। इस तकनीक से सर्जरी करना काफी जोखिम भरा था लेकिन फायदा यह था कि बिना चिड़-फाड़ किए, बगैर खून निकले सर्जरी कुछ मिनटों में संभव था। ऐसे में इससे न तो इंफेक्शन होने का डर है और न ही ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने की। तीन दिनों के अंदर मरीज स्वस्थ हो गई। अब उसे न तो दर्द होगा और न ही आगे कोई परेशानी।
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कार्बन डाइआक्साइड गैस से बनाया जाता जगह
डा. नागेंद्र सिंह ने कहा कि दूरबीन पद्धति से किसी भी बच्चे का सर्जरी करना काफी जोखिम भरा होता है। चूंकि, दूरबीन पद्धति से ऑपरेशन के लिए पेट में जगह बनाई
जाती है। इसके लिए कार्बन डाईआक्साइड प्रवाहित की जाती है जिससे पेट फूलता है और ऑपरेशन के लिए जगह बनती है। बच्चों के शरीर में कार्बन डाइआक्साइड गैस ज्यादा देर तक नहीं छोड़ा जा सकता है। इसका उनके फेफड़े पर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे देखते हुए इस बच्ची का ऑपरेशन मात्र 13 मिनट के अंदर किया गया। पत्थर का आकार सरसों जैसा था।
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