जांच में बुरी तरह पकड़ाये
Photo: बायीं ओर दलाल चंद्रमौलि, दायीं ओर goggles में थानेदार
जमशेदपुर, 8 जुलाई : बिरसानगर थाना के थाना प्रभारी अवर निरीक्षक प्रभात कुमार एवं दूसरे अवर निरीक्षक दीपक कुमार दास को आज वरीय आरक्षी अधीक्षक ने निलंबित कर दिया. ज्ञात हुआ है कि इन दोनों पुलिस पदाधिकारियों पर बहुत गंभीर आरोप है और थाना को अन्य पुलिसकर्मियों के सहयोग से ‘उगाही का अड्डा’ बना डाला था और आश्चर्य की बात है कि रोजाना उगाही में वरीय अधिकारी का ही नाम बेचते थे जैसे उगाही उनके लिये कर रहे हैं. इलाके में आम जनता डरकर थाने की हर मुराद पूरी करते थे. पता चला है कि इनपर थानेदार और अन्य पुलिसकर्मियों पर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है.
खबर के अनुसार SSP ने ग्रामीण एसपी मुकेश लिनायत (आईपीएस) को गुप्त सूचना के आधार पर शिकायत की जांच-पड़ताल का निर्देश दिया तो भांडा फूटा कि गत 17 जून को बिरसानगर में एचपी गैस गोदाम में गैस कटिंग के नाम पर थाना प्रभारी एक टीम लेकर गये और वहां से गैस सिलेंडर लदे दो छोटे वाहनों, कुछ कर्मचारियों को उठाया और गोदाम में ताला लगा दिया. गाडिय़ों के साथ सभी को लेकर थाना आ गये. गाडिय़ों को थाना के पिछवाड़े खड़ा करवा दिया. उसके बाद मोल-तोल शुरु किया. कहा जाता है कि छह लाख रु. से मामला शुरु करके डेढ़ लाख पर उतरे और डेढ़ लाख रु. थाने में ही दीपक कुमार दास के हाथों जमा लिया. इसके बाद भी गाड़ी छोडऩे को तैयार नहीं हुए और कहा कि यह पूरी कार्रवाई ‘साहब’ के निर्देश पर हुई है जिसके लिये साहब के एक आदमी चंद्रमौली मिश्रा को भी रुपये देने होंगे. अंतत: चंद्रमौली ने 50 हजार रुपये वसूले. मजे की बात है कि उसने यह रकम अपने एकाउंट में लिये जो कल जांच में साफ सामने आ गया.
चंद्रमौली नामक किरदार थाना का दलाल है जिसकी तरह कई दलाल थाना क्षेत्र में सक्रिय रखे गये थे. इनका काम था कि बिरसानगर की जो ‘जमीन पहचान सबै भूमि गोपाल की है’उसके सहारे दलाल जमीन पर काम करनेवालों के पास पहुंच जाते थे और थानेदार साहब के आदेशानुसार रकम तय कराते और वसूली कराते थे. पूरा वसूली का खेल खुलेआम चलता था. इलाके में कानाफुसी होती थी. थानेदार अपनी वसूली अभियान में न निर्धन परिवार को बख्शते थे और न ही बड़े कारोबारियों को. नौ महीने के कार्यकाल में प्रभात कुमार ने बिरसानगर में जो वसूली की पहचान बनाई,उसके बारे में क्षेत्र के लोग बताते हैं कि ऐसी पहचान बिरसानगर की पहले कभी नहीं थी. थानेदार ने नौ महीने में जो रकम वसूली की है उसका अंदाजा लगाना भी सहज नहीं है. इस वसूली की रकम को लेकर तरह-तरह की चर्चा है जो करोड़ों में कही जाती है.बिरसा नगर में किसी भी जमीन पर नया काम हो या पुराने मकान की repairing, थाना के दलाल या दीपक जैसे पुलिस कर्मी पहुंच कर पहले काम रोकते, फिर पैसे वसूलने का तिकड़म बिठाया जाता. विजया गार्डन के पास एक बड़े बिल्डर ने सड़क पर सरकारी जमीन घेर ली और थाना चुप रहा.
चंद्रमौली के बारे में कहा जाता है कि वह एक से अधिक बार जेल भी जा चुका है. कल जांच में उसे भी पकड़ा गया तो उसने अपने हिस्से के सारे राज उगल दिये. उसकी तरह अन्य सात-आठ दलालों की पहचान की जा रही है. मजे की बात है कि यह सब खेल लोग चुपचाप होते देख रहे थे. सूत्रों से जब वरीय पदाधिकारी को इसकी भनक लगी तो उन्होंने जांच पड़ताल शुरु करा दी. बिरसानगर का मामला जिले में इस तरह की वसूली और दलाली के धंधे
चलानेवाले थानेदारों और दलालों को साफ संदेश देता दिख रहा है कि अब उनकी भी खैर नहीं है.
जांच में कल ग्रामीण एसपी ने सात व्यक्तियों को उठाया जो गैस गोदाम मामले में थाना प्रभारी के शिकार बने थे.इनमें अमितेश कुमार सिंह अंशु, संतोष कुमार सिंह उर्फ रज्जे, अजय पाल, संतोष उपाध्याय उर्फ अंडा तथा अखिलेश कुमार सिंह उर्फ छोटू शामिल है. भाजमो के मंडल अध्यक्ष दीपु कुमार ओझा को भी बुलाया गया जिन्होंने घटना और पैसा के लेनदेन होने की गवाही दी. खेल रचनेवाला सूत्रधार चंद्रमौली अलग से पकड़ा गया. चंद्रमौली को अखिलेश कुमार सिंह उर्फ छोटू ने अपने गूगल पे एकाउंट से दो बार में 50 हजार रुपये भेजे. पहली बार 22,700 रु. और फिर 27,300 रु. चंद्रमौली ने अपने बचाव में कहा कि उसने यह रकम थाना प्रभारी के लिये ली. हलांकि यह रकम उसको थाना प्रभारी ने दलाली के एवज में दिलाई. थाना ने गैस गोदाम पर ताला मारा, गाडिय़ां पकड़ी, छह लोगों को दिनभर थाना में रखा लेकिन स्टेशन डायरी में इसका कहीं जिक्र नहीं पाया गया. इतनी बड़ी कार्रवाई बिना स्टेशन डायरी में अंकित किये क्रियान्वित करने के पहले बड़े अधिकारी को भी कोई सूचना नहीं दी गई. मंशा साफ थी जो उजागर हुई. चंद्रमौली पर अलग से रंगदारी वसूली का मामला दर्ज किया जा रहा है.
मृदुभाषी, पब्लिक फ्रेंडली और एक मिलनसार तथा सबको मिला जुलाकर चलनेवाली नेतृत्व क्षमता के वरीय अधिकारी के नाम पर बिरसानगर थाना की पूरी टीम ने जो गंदा खेल किया उससे ‘साहब’ और थाना के बीच टूट रही दीवार एकबार फिर सवालों के घेरे में आ गया, लेकिन यह भी साबित हो गया कि बड़ा अधिकारी लोगों से खुलकर मिलता जुलता रहे तो कोई भी नाजायज खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकता , बशर्ते लोग भी सजग होकर किसी की दादागिरी बर्दाश्त नहीं करें .