चांडिल। सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना (SMP) के चांडिल कार्यालय में भारी मात्रा में शराब की बोतलें और गांजा के पौधे मिलने के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब विभागीय अधिकारियों पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इतनी भारी मात्रा में शराब की बोतलें और गांजा के पौधे कार्यालय परिसर में कैसे आए? क्या सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधिकारी अपने कार्यालय में शराब पीते हैं? शराब के नशे में धुत रहते हैं?
दरअसल, अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले चांडिल डैम के विस्थापितों द्वारा दस सूत्री मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर किया जा रहा है। इसी क्रम में कल यानी सोमवार को विस्थापितों ने चांडिल पुनर्वास कार्यालय गेट जाम का आह्वान किया था। इस दौरान जब हजारों की संख्या में विस्थापित पुनर्वास कार्यालय परिसर में प्रदर्शन कर रहे थे, तभी लोगों की नजर उन हजारों खाली शराब बोतलों पर पड़ी जो पुनर्वास कार्यालय परिसर में बिखरे हुए थे। वहीं, छानबीन शुरू की गई तो कार्यालय के पीछे भारी संख्या में गांजा के पौधे पाए गए। गांजा के पौधे काफी बड़े हैं और खूब लहलहा रहे हैं। शराब की बोतलें और गांजा के पौधे देखने के बाद विस्थापितों की भीड़ आक्रोशित हो गई और जमकर बवाल काटा। यहां तक की आक्रोशित महिलाओं ने शराब की बोतलें उठाकर पदाधिकारियों के कक्ष तक चली गई और शराब पीने की जानकारी मांगने लगी। लेकिन पुनर्वास कार्यालय के अधिकांश अधिकारी मौका देखकर भाग गए और कर्मचारियों ने स्वयं को कमरों में बंद कर लिया। कई घंटों तक विस्थापितों के हंगामे के बाद भी पुनर्वास कार्यालय के कोई भी कर्मचारी बाहर नहीं आए।
इधर, विस्थापितों के हंगामे के बीच चांडिल पुलिस की टीम पहुंची और हंगामा कर रहे विस्थापितों को शांत कराने का प्रयास किया। हंगामे को बढ़ता देख अतिरिक्त पुलिस बल भी बुलाया गया।
टेंडर भरने के बाद शाम को चलती हैं दारू और मुर्गा पार्टी
चांडिल पुनर्वास कार्यालय में शाम ढलते ही पार्टी चलती हैं। अधिकारियों के साथ साथ कर्मचारी और ठेकेदार जाम छलकाते हुए टेंडर की चर्चा करते हैं। सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के एक ठेकेदार ने बताया कि जब भी टेंडर प्रक्रिया संपन्न किया जाता है, उसके बाद अधिकारियों के साथ कर्मचारी और ठेकेदार एक साथ पार्टी करते हैं। पार्टी में खस्सी मांस, मुर्गा, दारू, बियर, सिगरेट, रोटी, चावल इत्यादि की व्यवस्था होती हैं। यह व्यवस्था उस ठेकेदार द्वारा किया जाता हैं, जिन्हें लाखों करोड़ों रुपए का टेंडर मिलता है।
पुलिस पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप
पुनर्वास कार्यालय यानी एक सरकारी कार्यालय के परिसर में हजारों की संख्या पाए गए खाली शराब की बोतलों को लेकर भले ही पुलिस किसी तरह की कार्रवाई न करें। लेकिन कार्यालय परिसर में लहलहाती गांजा की फसल को लेकर पुलिस ने आजतक स्वयं किसी तरह की कार्रवाई नहीं की। जब विस्थापितों ने पुलिस से कार्रवाई की मांग की तो लिखित शिकायत की मांग की गई। इससे पुलिस की नीयत पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर अवैध रूप से गांजा के पौधे लगाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखित शिकायत की आवश्यकता होती हैं क्या?