तो पाकिस्तान, मिस्र, इंडोनेशिया में क्यों नहीं होता?’, तीन तलाक,सीसी और विपक्ष की बैठक पर पीएम मोदी का अहम बयान
ेंभोपाल 27 जून पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के तहत मंगलवार (27 जून) को कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. पीएम मोदी ने देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ा बयान दिया है. पीएम ने कहा, एक घर दो कानूनों से नहीं चल पाएगा, ठीक उसी तरह से एक देश में दो कानून नहीं हो सकते हैं.
पीएम मोदी ने कहा, “यूनिफार्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भडक़ाया जा रहा है. एक घर में दो कानून से घर नहीं चल पाएगा. भारत के संविधान मे भी नागरिक के समान अधिकार की बात की गयी है. वोट बैंक की राजनीति हो रही है. पसमांदा मुस्लिम राजनीति के शिकार हो रहे हैं. कुछ लोग तुष्टीकरण की राजनीति करते है और देश को तोड़ते है. बीजेपी कैडर मुस्लिम को जाकर समझाए.”
भोपाल में पीएम मोदी ने समान नागरिक सहिंता को लेकर पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को स्पष्ट मैसेज दिया है. प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया जब बीते दिनों ही लॉ कमीशन ने एक विज्ञप्ति जारी कर देश के नागरिकों से समान नागरिक संहिता पर उनसे लिखित सुझाव मांगे थे.
पीएम ने तीन तलाक के मुद्दे पर े कहा कि जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, जो भी इसकी वकालत करते हैं. वो वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं.
तीन तलाक से केवल बेटियों पर अन्याय नहीं होता पूरे परिवार तबाह हो जाते हैं. अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है तो पाकिस्तान, कतर, जॉर्डन, इंडोनेशिया जैसे देशों में क्यों इसको बंद कर दिया.
भारत के मुसलमान भाई बहनों को ये समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भडक़ा कर उनका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं.
यूसीसी का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर ऐसे लोगों को भडक़ाने का काम हो रहा है. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता लाओ, लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग हैं. वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमांदों मुसलमानों का शोषण किया है, लेकिन उनकी कभी चर्चा नहीं हुई. उन्हें आज भी बराबरी का हक नहीं मिलता.
विपक्षी दलों की बैठक पर पीएम ने कहा कि बीजेपी के जो घोर विरोधी दल हैं. 2014 हो या 2019 दोनों ही चुनावों में उतनी छटपटाहट नहीं दिखी जितनी आज दिख रही है. जिन लोगों को कुछ लोग पहले अपना दुश्मन बताते थे, पानी पी-पी कर गाली देते थे, आज उनके सामने साष्टांग प्रणाम कर रहे हैं. उनकी ये बेचैनी दिखलाती है कि देश की जनता ने 2024 के चुनाव में बीजेपी को वापस लाने का मन बना लिया है. 2024 में फिर एक बार बीजेपी की प्रचंड विजय तय है, इसी वजह से तमाम विपक्षी दल बौखलाए हुए हैं.
पीएम ने कहा कि आजकल एक नया शब्द बहुत प्रचलित हो रहा है- वो शब्द गारंटी हैं, ये विपक्षी दल की किसी चीज की गारंटी हैं. ये गारंटी भ्रष्टाचार की, लाखों-करोड़ रुपयों के घोटालों की है. कुछ दिन पहले इनका एक ‘फोटो ऑप’ कार्यक्रम हुआ था उसमें उन सबका मिल कर टोटल लगाएंगे तो ये सारे मिल कर 20 लाख करोड़ रुपये के घोटाले की गारंटी हैं. कांग्रेस का अकेले ही लाखों करोड़ का घोटाला है.
विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि आज मैं भी एक गारंटी देना चाहता हूं. अगर उनकी (विपक्ष) घोटाले की गारंटी है, तो मोदी की भी एक गारंटी है और मेरी गारंटी है- हर घोटालेबाज पर कार्रवाई की गारंटी. हर चोर-लूटेरे पर कार्रवाई की गारंटी, जिसने गरीब को लूटा है, देश को लूटा है उसका हिसाब तो होकर ही रहेगा. आज जब जेल की सलाखें सामने दिख रही हैं तब जाकर इनकी ये जुगलबंदी हो रही है.
क्या है समान नागरिक सहिंता?
समान नागरिक सहिंता देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानूनों की बात करती है. यानी, विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम देश में इस समय अलग-अलग धर्मों को लेकर अलग-अलग कानून हैं, इसलिए देश में बीजेपी बीते काफी सालों से यूसीसी लाने का प्रयास कर रही है, ये उसके कई चुनावी वादों में से एक बड़ा चुनावी वादा भी है.
कैसी होगी समान नागरिक सहिंता?
चूूंकि अभी विधि आयोग ने देश के नागरिकों से यूसीसी को लेकर सुझाव मांगे हैं, और इन सुझावों की अंतिम तिथि 15 जुलाई होगी, इसके बाद मिले सुझावों के आधार पर कानून मंत्रालय और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, राजनीतिज्ञों, शिक्षाविदों और सभी धर्मों के लोगों की एक कमेटी की भी राय ली जाएगी, और उनके सुझावों के आधार पर कानूनी जानकारी रखने वाली एक टीम इसका प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार करेगी. उस ड्राफ्ट के तैयार होने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि आखिर देश में यह कानून किस तरह का होगा.
हालांकि अभी तक की मिली जानकारी के अनुसार यूसीसी इन मुद्दों को टॉरगेट करेगी…
मैरिज
डिवोर्स
उत्तराधिकार
एडॉप्शन
गार्जियनशिप और
जमीन और संपत्ति का बंटवार
यूसीसी पर क्या है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का रुख?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड ने कहा है कि भारत में इस तरह का कानून बनाने बेवजह देश के संसाधनों को बर्बाद करना है और यह समाज में वेवजह अराजकता का माहौल बनाएगा. मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि इस समय यह कानून लाना अनावश्यक, अव्यहारिक और खतरनाक है.
मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने एक बयान में कहा था कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बनाए गये कानून मुस्लिमों की पवित्र किताब कुरान से ली गई है और उसमें लिखी बातों को काटने और बदलने की इजाजत खुद मुसलमानों को भी नहीं है. तो फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें दखलंदाजी कर सकती है.
क्या पर्सनल लॉ को रिप्लेस कर देगी यूसीसी?
दावा किया जा रहा है कि यूसीसी भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार को सुनिश्चित करेगी, साथ ही अनुच्छेद 15 के तहत रिलीजन, रेस, कास्ट, सेक्स या फिर प्लेस ऑफ बर्थ के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाने का काम करेगी. ये कानून पर्सनल लॉ या फिर धार्मिक किताबों पर आधारित कानूनों और परंपराओं को इस यूनिफार्म सिविल कोड से रिप्लेस किया जाएगा.