रांची: 16 दिसंबर इएमएस :- झारखंड विधानसभा चुनाव के चौथे चरण का मतदान संपन्न हो गया है. इस चरण में 15 सीटों पर सोमवार सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान कराया गया, हालांकि 5 सीटों पर मतदान का समय 3 बजे तक निर्धारित था. इस चरण में उत्तरी छोटानागपुर की 13 और संताल परगना की दो सीटों पर मतदान हुआ. इन 15 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 47.85 लाख मतदाताओं (25.40 लाख पुरुष, 22.44 लाख महिला व 81 थर्ड जेंडर) ने 221 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला किया.
* 5 बजे तक मतदान का प्रतिशत 62.46
मधुपुर – 72.90 फीसदी, देवघर – 63.40 फीसदी, बगोदर – 62.82 फीसदी, जमुआ – 59.09 फीसदी, गांडेय – 69.17 फीसदी, गिरीडीह – 60.64 फीसदी, डुमरी – 68.89 फीसदी, बोकारो – 50.64 फीसदी, चंदनक्यारी – 74.50 फीसदी, सिंदरी – 69.50 फीसदी, निरसा – 67.50 फीसदी, धनबाद – 52.67 फीसदी, झरिया – 51.76 फीसदी, टुंडी – 67.21 फीसदी और बाघमारा – 61.95 फीसदी.
– भाजपा सांसद निशिकांत दुबे कार्यकर्ताओं के साथ बी.एड कॉलेज स्थित मतदान केंद्र का जायजा लेने पहुंचे
– डुमरी विधान सभा के बूथ संख्या 347 अलारगो में 90 वर्षीय आदिम जनजाति की वृद्धा उषा देवी ने किया मतदान
– बोकारो के उलगोडा बूथ संख्या 578 एवं 579 पर एक भी वोट नहीं पड़ा है. जिला उप विकास आयुक्त रवि रंजन मिश्रा, प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय साडील, अंचल अधिकारी दिवाकर दिवेदी, मुश्किल इंस्पेक्टर मतदान करवाने में भरपूर प्रयास कर रहे हैं.
बोकारो विधानसभा के उलगोड़ा में दो ऐसे बूथ हैं, जहां एक भी व्यक्ति ने मतदान नहीं किया. बूथ संख्या 578 एवं 579 पर लोग पहुंचे हैं, लेकिन अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर रहे. ये लोग मतदान करने से पहले अपना अधिकार मांग रहे हैं. अधिकारियों से लिखित आश्वासन मांग रहे हैं, लेकिन अधिकारी लिखित में कुछ भी देने को तैयार नहीं हैं. फलस्वरूप लोगों ने अपनी उंगली पर स्याही लगवाने से मना कर दिया .
जिला के उप विकास आयुक्त रवि रंजन मिश्रा, प्रखंड विकास पदाधिकारी संजय साडील, अंचल अधिकारी दिवाकर द्विवेदी समेत वरीय अधिकारी लोगों को समझाने में जुटे रहें कि वे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें, लेकिन लोगों ने साफ कह दिया है कि जब तक उनकी मांग पर उन्हें प्रशासन की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती, वे मतदान नहीं करेंगे. यहां के लोगों का कहना है कि उन्हें बताया जाये कि उनके री-सेटलमेंट की स्थिति क्या है. नये सिरे से उनका सेटलमेंट होगा या पुरानी ही स्थिति बनी रहेगी.
ग्रामीणों के सवालों का स्पष्ट जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं. फलस्वरूप गतिरोध बना हुआ है. हालांकि, वरीय अधिकारी लोगों को समझाने-बुझाने में जुटे हैं कि वे मतदान का बहिष्कार न करें, लेकिन लोग भी इस बात पर अड़ गये हैं कि जब तक उन्हें उनके सवालों का जवाब नहीं मिल जाता, वे वोट नहीं देंगे