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jamshedpur :देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है मगर असुविधा एवं आर्थिक तंगी के अभाव में अनगिनत ऐसी प्रतिभाएं हैं जिनको अवसर नहीं मिल पाता । देश भी ऐसी प्रतिभाओं का लाभ उठा पाने से वंचित रह जाता है। साल २०२० में रामगढ़ जिला के भुरकुंडा से एक खबर छपी कि रामगढ जिला का मैट्रिक के जैक टॉपर रोहित नायक का पैसे के अभाव में कालेज में दाखिला नहीं हो पा रहा है। रामगढ के तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक प्रभात कुमार(आईपीएस) की नजर उक्त खबर पर पड़ी तो उन्होंने खबर लिखने वाले उक्त पत्रकार अवध शर्मा से संपर्क साधा और कहा कि क्या आप बच्चे को लेकर मेरे पास आ सकते हैं। पत्रकार आधे घंटे में बच्चे को लेकर एसपी कार्यालय में था। उस बच्चे ने ९१ प्रतिशत अंक हासिल किया था। प्रभात कुमार ने उक्त बच्चे से बताया कि उसके माता पिता ईंट भट्टा में मजदूरी करते हैं। छह भाई बहनों में वह सबसे बड़ा है। उसके मां पिता के पास इतने पैसे नहीं है कि वह उसका दाखिला करा सके। थोड़ी देर की बातचीत में ही प्रभात कुमार उक्त बच्चे की प्रतिभा को भांप लिया उन्होंने उक्त कालेज के प्राचार्य से संपर्क किया तो उन्होंने अपनी विवशता जताई कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं कि एडमिशन फीस वे माफ कर सके। एसपी प्रभात कुमार ने् कहा कि आप अकाउंट नंबर दें मैं आपको पैसे भेजता हूं . तदनुसार भुरकुंडा थाना प्रभारी बच्चे को लेकर अगले दिन कॉलेज पहुंचे और नामांकन कराया.
उसके बाद श्री कुमार की रुचि उस बच्चे में होने लगी । प्रभात कुमार ने बच्चे के लिये करीब ११ हजार में पूरी किताब, कापी, पेन पेंसिल, सहित अध्ययन की सारी सामग्रियां ख्ररीदीं और उनको लेकर उक्त बच्चे के घर पहुंचे। दो कमरे के मिट्टी के घर में वह परिवार रहता था। एक कमरे में खाना बनता था और दूसरे में सभी लोग रहते थे. उन्हें पता चला कि भुरकुंडा के ही एक शिक्षक ने उस बच्चे को नि:शल्क ट्यूशन पढाया है। प्रभात कुमार ने उक्त शिक्षक से संपर्क किया और कहा कि आप आगे भी उक्त बच्चे को गाइड करिये किसी भी चीज की जरुरत हो तो उनसे संपर्क करियेगा । फिर प्रभात कुमार उक्त बच्चे के साथ जुड़ गये। रांची में उसके लिये कोचिंग की व्यवस्था कराई। वे वहां उसके लिये कमरे के भाड़ा का खर्च वहन के लिये भी तैयार थे लेकिन उसे वहां एक पी जी में कमरा निःशुल्क मिल गया। साल २०२२ में उस बच्चे ने जे ई ई एडवांस की परीक्षा में एसटी कोटा में करीब ७००वां रैंक लाया। आज वह बच्चा आईआईटी खडग़पुर का छात्र है । हाल ही रोहित नायक लड्डू लेकर प्रभात कुमार से मिलने जमशेदपुर एसएसपी कार्यालय पहुंचा तो उसकी आंखों में आंसू थे।
पूर्वी सिंहभूम के वरीय आरक्षी अधीक्षक प्रभात कुमार से मिलने प्रेस क्लब आफ जमशेदपुर का एक प्रतिनिधिमंडल उनके कार्यालय पहुंचा था। इस बार १०वीं एवं १२वीं की विभिन्न परीक्षाओं में पत्रकारों के बच्चों ने शानदार प्रदर्शन किया है। प्रेस क्लब की ओर से ऐसे बच्चों एवं उनके माता पिता को सम्मानित करने एवं बच्चों को प्रेरित करने के उद्देश्य से एक समारोह का आयोजन किया जाना है।इसी के तहत मोटिवेटर के रुप में एसएसपी प्रभात कुमार को आमंत्रित करने वह प्रतिनिधिमंडल गया था। इसी दौरान श्री कुमार ने प्रेस क्लब की पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में जाना मेरी प्राथमिकताओं में शुमार होता है। उन्होंने भुरकुंडा की उक्त घटना का जिक्र करते हुए कहा कि देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन अभाव ,तंगी के कारण वे पीछे रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि १४० करोड़ की आबादी वाले देश में कितने परिवार हैं जो अपने बच्चे को कोटा या दूसरे शहरों में कोचिंग या उच्च शिक्षा के लिये भेज सकते हैं। केंद्र, राज्य सरकार के कर्मियों, बैंक एवं अन्य सेवाओं,टाटा जैसी बड़ी निजी कंपनियों में काम करने वालों की कुल संख्या मिलाकर भी देखें तो १० प्रतिशत परिवार ही ऐसे होंगे जो अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिये खर्च वहन कर पाने में सक्षम हैं। शेष परिवारों के बारे में भी हमें सोचना चाहिये।
उन्होंने कहा कि मैंने इस बार के यूपीएससी के परिणाम की स्टडी की है। मैंने पाया है कि करीब जिन ९०० से अधिक प्रतिभागियों ने कामयाबी पाई है उनमें करीब ८०० साधारण परिवार की पृष्ठभूमि वाले हैं। ये सारे सेकेंड एवं थर्ड टीयर शहरों से हैं। यानि ऐसे बच्चों मेें पढाई और अच्छा करने की भूख अधिक होती है। जरुरत है इनको अवसर प्रदान करने की। उन्होंने जमशेदपुर की स्कूली शिक्षा के स्तर की भी भरपूर सराहना की,लेकिन बारहवीं के बाद अचानक बने वैक्यूम को दूर करने की जरूरत बतायी.
विदित हो कि खुद प्रभात कुमार ने सरकारी स्कूल से मैट्रिक करने के बाद एल एस कालेज, मुजफ्फरपुर में दाखिला लिया था। भारतीय पुलिस सेवा में आने के बाद भी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद विद्यार्थियों के लिए उनकी गहरी रुचि है और उनके विभिन्न कार्यक्रमों के संबोधन में इसकी झलक साफ तौर पर दिखती है। हाल ही सोना देवी यूनिवर्सिटी के वेब साइट एवं लोगो लांचिंग कार्यक्रम के दौरान उनके संबोधन में साफ दिख रहा था कि आज के शैक्षणिक वातावरण को लेकर वे कितने संवेदनशील और गंभीर हैं। उस कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि विद्यार्थी जॉब सिकर्स नहीं, वरन जॉब क्रिएटर्स बनें. यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि ग्रुप सी और डी के लिये निकाले जानेवाली नियुक्तियों में पीजी मास्टर डिग्री तक के विद्यार्थी आवेदन देते हैं. स्नातक भी लाखों की संख्या में होते हैं. शिक्षा के स्तर को इसी बात से समझा जा सकता है कि १४-१५ हजार रु. की नौकरी के लिये इस योग्यता के लोग आवेदन देते हैं।
साल 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी ‘प्रभात कुमार’ मूल रूप से बिहार के वैशाली के रहने वाले हैं। MBA की पढ़ाई पुणे से करने के बाद 4 सालों तक एक बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर काम किया। IPS की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद साल 2016 में उनकी पहली तैनाती झारखंड के धनबाद में बतौर SDPO (Trainee IPS) के रूप में हुई।