पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बुधवार को मेट्रो ट्रेन नदी के तल से करीब 13 मीटर नीचे दौड़ी। इसका ट्रायल अंडरवाटर मेट्रो परियोजना के तहत हुआ। कोलकाता में इसके लिए हुगली नदी के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया गया है।
सात महीने के ट्रायल के बाद इसे नियमित रूप से चलाया जाएगा। मेट्रो के मामले में कोलकाता के नाम यह दूसरा ऐतिहासिक पल है। 1984 में देश में पहली मेट्रो की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 2002 में दिल्ली में मेट्रो का संचालन हुआ था।
बुधवार को कोलकाता मेट्रो रेल कोरपोरेशन (केएमआरसी) ने ठीक 11 बजकर 30 मिनट पर मैट्रो की एक रैक नंबर एमआर-612 महाकरण के लिए रवाना की। वहीं, 11 बजकर 40 मिनट पर मेट्रो की वह रैक महाकरण से हावड़ा मैदान के लिए रवाना हुई और ठीक करीब 12 बजे हावड़ा मैदान पहुंची।
कोलकाता में अंडरवाटर प्रोजेक्ट को ईस्ट वेस्ट मेट्रो कोरिडोर परियोजना का नाम दिया गया है। इस परियोजना के तहत भारत के पास बहुत जल्द ही अपनी पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन होगी। जिसकी शुरुआत कोलकाता से होने जा रही है। कोलकाता में इसके लिए हुगली नदी के नीचे एक सुरंग का निर्माण किया गया है। साल्ट लेक, हावड़ा मैदान और सेक्टर वी को जोड़ने वाले ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर के बीच हुगली के नीचे दो सुरंगें बनाई गई हैं। दो से छह कोच वाली मेट्रो ट्रेन ट्रायल रन के तहत एस्प्लेनेड और हावड़ा मैदान के बीच 4.8 किमी की दूरी तय करेगी।
हुगली नदी के तल को काटकर बनाई गई सुरंगों में मेट्रो ट्रेन 80 किमी/घंटा की गति से चलेगी। 16 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन में 10.8 किलोमीटर भूमिगत खंड हैं। नदी का वह हिस्सा जो नीचे की ओर है, इसमें शामिल है। यह मेट्रो ट्रेन हुगली नदी के तल से 13 मीटर नीचे से गुजरेगी और हावड़ा मेट्रो स्टेशन भी 33 मीटर तक गहरा होगा।
कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के मुताबिक भूमिगत ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना दिसंबर तक पूरी हो जाएगी। कोलकाता मेट्रो का ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर 15 किलोमीटर लंबा है। यह हावड़ा से साल्ट लेक सिटी स्टेडियम तक फैला हुआ है। साल्ट लेक सेक्टर 5 से साल्ट लेक स्टेडियम तक इस मेट्रो रूट के साथ करुणामयी, सेंट्रल पार्क, सिटी सेंटर और बंगाल केमिकल में मेट्रो स्टेशन होंगे। यह परियोजना कोलकाता मेट्रो की उत्तर-दक्षिण लाइन के एस्प्लेनेड स्टेशन को हावड़ा और सियालदह के रेलवे स्टेशनों से जोड़ेगी।