अंगदान को आसान और प्रोत्साहित करने के लिए नीति
रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में सरायकेला-खरसावां जिले के रहने वाले अभिजीत से बात की। प्रधानमंत्री ने अभिजीत की ६३वर्षीय दिवंगत मां वर्षीय स्नेहलता चौधरी को नमन करते हुए उन्हें समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया। ६३वर्षीय स्नेहलता चौधरी के अंगदान से चार लोगों को नया जीवन मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंगदान के लिए सबसे बड़ा जज्बा यही होता है कि जाते-जाते भी किसी का भला हो जाए, किसी का जीवन बच जाए। उन्होंने कहा कि जो लोग अंगदान का इंतजार करते हैं, वे जानते हैं कि इंतजार का एक-एक पल गुजरना, कितना मुश्किल होता है। और ऐसे में जब कोई अंगदान या देहदान करने वाला मिल जाता है, तो उसमें ईश्वर का स्वरूप ही नजर आता है। झारखंड की रहने वाली स्नेहलता चौधरी भी ऐसी ही थी। जिन्होंने ईश्वर बनकर दूसरों को जिन्दगी दी। ६३ वर्ष की स्नेहलता चौधरी ने अपना हार्ट, किडनी और लीवर दान करके गई।
जानिए किन परिस्थितियों में अंगदान का फैसला लिया
प्रधानमंत्री ने च्मन की बातज् में उनके बड़ेे बेटे भाई अभिजीत चौधरी से भी बात की। पीएम मोदी ने कहा- च्अभिजीत जी आप एक ऐसी मां के बेटे हैं जिसने आपको जन्म देकर एक प्रकार से जीवन तो दिया ही, लेकिन और जो अपनी मृत्यु के बाद भी आपकी माता जी कई लोगों को जीवन देकर गईं। एक पुत्र के नाते अभिजीत आप जरूर गर्व अनुभव करते होंगेज्। उन्होंने अभिजीत से पूछा कि किन परिस्थितियों में उन्होंने अपनी मां के अंगदान का फैसला लिया?
मॉर्निंग वॉक के दौरान हादसे में स्नेहलता चौधरी हुई थी घायल
अभिजीत ने प्रधानमंत्री को बताया कि उनकी मां-पिता सरायकेला के एक छोटा गांव में रहते हैं। उनकी मां पिछले २५ साल से लगातार मार्निंग वॉक करने जाती थी। इसी दौरान सुबह ४ बजे घटना के दिन भी उनकी मां मार्निंग वॉक के लिए निकली थी। उसी दौरान एक मोटरसाईकिल वाले ने उन्हें पीछे से धक्का मार दिया। इस हादसे में उन्हें बहुत ज्यादा चोट लगी। तुरंत उन्हें जमशेदपुर के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी सर्जरी हुई। ४८ घंटे के बाद डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। फिर वे अपनी मां एयरलिफ्ट कर दिल्ली एम्स ले गए। ७ से ८ दिनों तक वहां उनका इलाज हुआ। बाद में पता चला कि उनकी ब्रेन डेथ हो गई है। तब फिर डॉक्टर साहब ने उन्हें प्रोटोकॉल के साथ अंगदान के बारे में जानकारी दी। इस बारे में पिता जानकारी देने से वे बच रहे थे, लेकिन जैसे ही पिता से इस संबंध में बात की, तो उन्होंने कहा- च् मम्मी का बहुत मन था और हमें ये करना है।ज् अभिजीत ने बताया कि वे पहले काफी निराश थे कि उनकी मम्मी बच नहीं सकेंगी, पर जैसे ही अंगदान की प्रक्रिया शुरू हुई, उनकी निराशा पॉजिटिव वातावरण में बदल गई। इसमें उनकी मम्मी का एक बहुत ड़?ा सोच था कि पहले वो काफी नेत्रदान और इन चीजों में सामाजिक रूप से काफी सक्रिय थी। शायद यही सोच को लेकर इतना बड़ा निर्णय परिवार कर पाया। उनकी मां हर्ट, दो किडनी, लीवर और दोनों नेत्र का दान हुआ। इससे चार लोगों को नई जिन्दगी और दो लोगों को आंख मिल सका।
मां की छोड़ी गई परंपरा पीढी-दर-पीढी के लिए ताकत
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभिजीत चौधरी, उनके पिता और माताजी सभी नमन के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि परिवार ने जो काम किया, ये वाकई बहुत ही प्रेरक है। उन्होंने कहा कि वे मानते है कि मां तो मां होती है। मां एक अपने आप में प्रेरणा भी होती है। लेकिन मां जो परंपराएं छोड़ कर जाती हैं, वो पीढी-दर-पीढी, एक बहुत बड़ी ताकत बन जाती हैं। अंगदान की प्रेरणा आज पूरे देश तक पहुंच रही है। वे इस पवित्र और महान कार्य के लिए पूरे परिवार को बहुत-बहुत बधाई देते हैं।
अंगदान को आसान और प्रोत्साहित करने के लिए नीति बनाई
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज ब?ी संख्या में ऐसे जरूरतमंद हैं, जो स्वस्थ जीवन की आशा में अंगदान करने वाले का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें संतोष है कि अंगदान को आसान बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए पूरे देश में एक जैसी पॉलिसी पर भी काम हो रहा है। इस दिशा में राज्यों के डोमिसाइल की शर्त को हटाने का भी निर्णय लिया गया है। यानी अब देश के किसी भी राज्य में जाकर मरीज अंग प्राप्त करने के लिए रजिस्टर करवा पाएगा। सरकार ने अंग दान के लिए ६५ वर्ष से कम आयु की उम्र सीमा को भी खत्म करने का फैसला लिया है। इन प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री ने देशवासियों से आग्रह किया कि अंग दान के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग आगे आएं।