जमशेदपुर 8 नवंबर संवाददाता :- जमशेदपुर पश्चिम सीट की उम्मीदवारी को लेकर पिछले लंबे अरसा से चल रहे अटकल का दौर अब लगता है कि थम गया है. ऐसी चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से वर्तमान विधायक सरयू राय की उम्मीदवारी पर लगभग मोहर लग गयी है. आज मुख्यमंत्री रघुवर दास, सांसद विद्युत वरण महतो दिल्ली से जमशेदपुर लौट आये. प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी चाईबासा वापस आ गये हैं. ऐसा माना रहा है कि कल भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा के आवास पर हुई बैठक में जो सूची शार्टलिस्ट की गयी थी उसमें सरयू राय का नाम था. अब आजसू के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची चल रही है और इस पर निर्णय पार्टी के आलाकमान को लेना है यही कारण है कि माना जा रहा है कि पहले दो से तीन चरण के नाम फाइनल करने के बाद ही मुख्यमंत्री रघुवर दास एवं प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा दिल्ली से लौटे हैं.
सुदेश इचागढ के बहाने कर रहे हैं मोलभाव
आजसू के कड़े तेवर ने भाजपा के सामने परेशानी खड़़ी कर दी है. लोकसभा चुनाव में आश्चर्यजनक ढंग से भाजपा ने गिरीडीह जैसी अपनी परंपरागत सीट को एक तरह की आजसू की झोली में डाल दी थी. विधानसभा चुनाव में आजसू 15 सीटों पर अपना दावा ठोक रहा है. पिछले 2014 विधानसभा चुनाव में आजसू ने 8 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पांच में उसे जीत हासिल हुई थी. इस बार आजसू की महत्वाकांक्षा बढ़ गयी है. उसका दावा चंदन क्यारी, चक्रधरपुर और लोहरदगा है. यह भी चर्चा है कि सुदेश महतो कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना के तर्ज पर इस समय अपनी रणनीति बनाये हुए हैं. वे इस बार सिल्ली से चुनाव लडऩे के बजाय ईचागढ़ को सुरक्षित मान रहे हैं. सिल्ली में लगातार दो बार झामुमो के टिकट पर अमित महतो और बाद में उनकी महतो सीमा देवी ने सुदेश महतो को हार का स्वाद चखाया है. इस बार के माहौल को देखते हुए सुदेश महतो ईचागढ़ को अपना नया ठिकाना बनाना चाहते हैं. चर्चा है कि ईचागढ़ के बहाने ही वे भाजपा के साथ 15 सीटों का मोलभाव करने में लगे हुए हैं. यदि भाजपा ईचागढ़ उनकी झोली में डालती है तो वे अन्य सीटों से दावा छोड़ सकते हैं.
घाटशिला झामुमो के पाले में,
इस बीच आज कांग्रेस और झामुमो के बीच हुए समझौते के बाद माना जा रहा है कि घाटशिला झामुमो के पाले में चला गया है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू लगातार घाटशिला से किसी भी हालत में चुनाव लडऩे की बात करते रहे हैं. अब देखना है कि वे अपना राजनीति भविष्य किस दिशा में ले जाते हैं.