नई दिल्ली दुनिया के कई देशों में देशों में प्याज की कमी हो गई है। फिलिपींस में तो प्याज की कीमतें चिकन से से भी ज्यादा हो गई हैं। फिलिपींस ही नहीं दुनिया के कई देशों में प्याज का ये संकट फैल चुका है। कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे देशों ने घरेलू बाजार में प्याज की कमी की आशंका के चलते प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, दूसरी ओर यूरोप भी ऐसे संकट से गुजर रहा है। ब्रिटेन के कई सुपर स्टोर ने तो तीन से ज्यादा टमाटर खरीदने पर पाबंदी लगा दी है।
उधर भारत का हाल यह है कि महाराष्ट्र के सोलापुर मेंकल एक किसान ने 521 किलो प्याज बेचकर 2.49 रुपये कमाये
सोलापुल के बरसी तहसील निवासी 63 वर्षीय राजेंद्र चवन ने बताया कि सोलापुर मार्केट यार्ड में उनका प्याज एक रुपये किलो के भाव पर बिका। उन्होंने बताया कि 10 बोरियों में प्याज भरकर वे लाये थे जिसका वजन पांच क्विंटल हुआ। व्यापारी ने 100 रुपये क्वींटल के भाव पर प्याज खरीदा और उसे 512 रुपये मिले। लेकिन लोडिंग, भाड़ा, ढुलाई आदि का खर्च काटा तो कुल खर्च 509.51 रुपये आये। उनकी कुल वचत केवल 2.49 रुपये की ही रही। उन्होंने कहाकि यह प्याज उत्पादकों का अपमान है ।
दूसरी ओर कई देशों में प्याज की भारी कमी से वैश्विक खाद्य संकट पैदा हो सकता है, क्योंकि इसकी कमी की वजह से अब अन्य सब्जियों की कीमतों में बढोतरी हो रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं और इससे मुद्रास्फीति बढ़ रही है। इसका प्रभाव यह हुआ है कि मोरक्को, तुर्की और कजाकिस्तान जैसे देशों को कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी है।
फिलिपींस में कीमतें बढऩे के कारण लोग अब इसका इस्तेमाल करना बंद कर रहे हैं। उधर मोरक्को की राजधानी रबात में, लोग अब महंगाई के कारण प्याज और टमाटर नहीं खरीद रहे हैं। ब्रिटेन में स्थिति खराब है, यहां के कई सुपरमार्केट चेनों को कुछ फलों और सब्जियों की खरीद में लिमिट लगाने के लिए मजबूर कर दिया है। इसकी वजह दक्षिणी स्पेन और उत्तरी अफ्रीका में खराब मौसम के कारण फसल
की कमजोर उपज है।
संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के अनुसार, प्याज की कीमतों में कमी और बाद में कीमतों में वृद्धि अन्य फलों और सब्जियों जैसे कि गाजर, टमाटर, आलू, सेब और दुनियाभर में उनकी उपलब्धता को प्रभावित कर रही है। प्याज दुनिया में सबसे अधिक खपत वाली सब्जियों में से एक है। सालाना लगभग 106 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन होता है, जो गाजर, शलजम, मिर्च और लहसुन के कुल उत्पादन के बराबर है।