शिंदे गुट के पास रहेगा शिवसेना का नाम और धनुष-बाण का सिंबल

,उद्धव ठाकरे को झटका, चुनाव आयोग ने दिया आदेश
नई दिल्ली 17्रफरवरी : शिवसेना पर अधिकार को लेकर एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच चल रही खींचतान के बीच शुक्रवार (17 फरवरी) को चुनाव आयोग ने बड़ा आदेश दिया. चुनाव आयोग ने आदेश दिया कि पार्टी का नाम “शिवसेना” और पार्टी का प्रतीक “धनुष और बाण” एकनाथ शिंदे गुट के पास ही रहेगा. चुनाव आयोग का ये फैसला जहां उद्धव ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका है तो वहीं शिंदे गुट को बड़ी जीत मिली.
चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये बालासाहेब ठाकरे के विचारों की विजय है. दरअसल, एकनाथ शिंदे के विद्रोह और उद्धव ठाकरे सरकार के पतन के बाद से ही दोनों गुट शिवसेना के नाम और धनुष-बाण के चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे थे. मामला चुनाव आयोग के पास लंबित होने के कारण धनुष-बाण के चिह्न को फ्रीज कर दिया गया था. उपचुनाव के लिए, दोनों गुटों को दो अलग-अलग सिंबल आवंटित किए गए थे. जिसमें शिंदे गुट को दो तलवारें और एक ढाल और उद्धव गुट को मशाल का सिंबल दिया गया था.
चुनाव आयोग ने मामले में क्या पाया?
चुनाव आयोग ने देखा कि शिवसेना का वर्तमान संविधान अलोकतांत्रिक है. बिना किसी चुनाव के पदाधिकारियों के रूप में एक गुट के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से नियुक्त करने के लिए इसे विकृत कर

दिया गया है. इस तरह की पार्टी की संरचना विश्वास को प्रेरित करने में विफल रहती है. चुनाव आयोग ने पाया कि 2018 में संशोधित शिवसेना का संविधान भारत के चुनाव आयोग को नहीं दिया गया है.

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