नई दिल्ली: लोकसभा सचिवालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में टिप्पणी को लेकर विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से 15 फरवरी तक जवाब तलब किया है। सचिवालय ने
राहुल गांधी को बीजेपी के सदस्यों की ओर से दिये गये विशेषाधिकार हनन नोटिस पर जवाब देने को कहा है। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी की ओर से राहुल गांधी
के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है। जिस पर सचिवालय ने 10 फरवरी को गांधी को एक पत्र लिखकर अपना जवाब 15 फरवरी तक पेश करने को कहा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी सदस्य को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है। कुछ साल पहले भी राहुल गांधी को ऐसा नोटिस दिया गया था। कांग्रेस की ओर से भी पीएम मोदी के खिलाफ संसद में विशेषाधिकार का
नोटिस दिया जा चुका है। पूर्व में संसद में अधिकांश विशेषाधिकार प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया है। अब तक केवल कुछ ही मामलों में दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि क्या है विशेषाधिकार हनन नोटिस और इसका प्रस्ताव कैसे लाया जाता है।
क्या पूर्व में कभी संसद में विशेषाधिकार प्रस्ताव पारित किए गए हैं
संसद में पेश अधिकांश विशेषाधिकार प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया गया है। अब तक केवल कुछ ही मामलों में दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है। अब तक पारित सबसे महत्वपूर्ण विशेषाधिकार
प्रस्तावों में से एक 1978 में इंदिरा गांधी के खिलाफ था। तत्कालीन गृह मंत्री चरण सिंह ने आपातकाल के दौरान ज्यादतियों की जांच करने वाले न्यायमूर्ति शाह आयोग द्वारा की गई टिप्पणियों के आधार पर
उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया था। चिकमंगलूर से लोकसभा चुनाव जीतने वाली इंदिरा गांधी को सदन से निष्कासित कर दिया गया था। तत्कालीन मोरारजी देसाई की सरकार ने
इसके बाद उन्हें संसद सत्र जारी रहने तक के लिए जेल भेज दिया। इंदिरा गांधी पर विशेषाधिकार हनन का आरोप था। इंदिरा गांधी संसद भवन में गिरफ्तारी का आदेश मिलने तक टिकी रहीं। करीब 8 बजे के बाद स्पीकर के हस्ताक्षर वाला अरेस्ट ऑर्डर दिया गया। गिरफ्तारी के बाद वह संसद के उसी दरवाजे से बाहर निकलीं जहां से कभी प्रधानमंत्री की हैसियत से बाहर निकला करती थीं।
इनके खिलाफ भी हो चुकी है संसद में कार्रवाई
1976 में सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को विदेशी प्रकाशनों के लिए अपने साक्षात्कारों के माध्यम से संसद का अपमान करने के लिए राज्यसभा से निष्कासित कर दिया गया था। 1961 में, ब्लिट्ज के संपादक
आरके करंजिया पर विशेषाधिकार के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया गया था, जब प्रकाशन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता जेबी कृपलानी की सार्वजनिक रूप से निंदा करने वाला एक लेख प्रकाशित किया था।
करंजिया को लोकसभा में फटकार लगाई गई और उनके संवाददाता का गैलरी पास रद्द कर दिया गया।
राहुल पर दो नियमों को तोडऩे का आरोप
ध्यान रहे कि संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी पर लोकसभा के कामकाज के नियम 353 और 369 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि नियम 353 के तहत जो सदन में मौजूद नहीं हो, उसके खिलाफ आरोप नहीं लगाए जा सकते क्योंकि वह अपना बचाव नहीं कर सकता है। नियम 353 ही कहता है कि किसी सदस्य को किसी अन्य सदस्य के खिलाफ आरोप मढऩे से पहले लोकसभा सचिवालय को बताना होता है और लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति लेनी होती है। वहीं, नियम 369 के तहत कोई सदस्य सदन में कोई कागज दिखाए तो उसे उसकी सत्यता का प्रमाण पेश करना होता है। संसदीय कार्य मंत्री का कहना है कि राहुल गांधी ने इन दोनों ही नियमों की अवहेलना की है।