टर्की बेहद खूबसूरत देश. कहने को तो इस्लामिक कंट्री मगर आधुनिकताओं से सराबोर. ऊंची-ऊंची इमारतों के साथ ऐतिहासिक विरासत को संभाले हुए संस्कृति. भारत और तुर्की के समय में ढाई घंटे का फासला है. भारत का समय 2.5 घंटे आगे चलता है. तकरीबन चार बजे के आस-पास यहां भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इस हादसे में 600 लोग हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गए। किसी को मालूम चला मगर ज्यादातर लोग नींद के आगोश में भी सोते रह गए. रिएक्टर स्केल में 7.8 तीव्रता के भूकंप से चंद सेकंडों में सबकुछ तबाह कर दिया. रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच बर्फीले तूफान ने रही सही कसर भी पूरी कर दी. तेज तूफान के कारण एजेंसियां तेजी से काम नहीं कर पा रही.
तुर्की में भूकंप केंद्र के पास स्थित गाजियांटेप के निवासी ने रॉयटर्स न्यूज एजेंसी को बताया कि जिस वक्त Earth Quake आया उस वक्त इमारतें पालने (जिसमें बच्चे को झूला झुलाया जाता है) की तरह हिल रहीं थीं. एर्डेम ने अपना सरनेम नहीं बताया. उसने कहा कि मैंने 40 वर्षों में ऐसा कभी महसूस नहीं किया है. वो कहता है कि भूकंप इतना तेज था कि पूरी इमारत झूले की तरह हिल रही थी. तीन बार भयंकर झटके लगे. लोग नींद में थे बाहर बहुत अंधेरा था