पीएम मोदी ने पहले निभाया मां का कर्ज फिर राष्ट्र का फर्ज, 9.26 बजे मां को दी मुखाग्नि, 10.15 बजे फिर जुट गये काम में

मां का निधन और मोदी का मिशन… क्या है सरदार पटेल की पत्नी का किस्सा जिसकी हो रही चर्चा

1909 में सरदार पटेल ने भी ऐसा उदाहरण पेश किया था

अहमदाबाद: पीएम नरेंद्र मोदी की मां हीराबा शुक्रवार सुबह 9:26 बजे पंचतत्व में विलीन हो गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाइयों के साथ उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले पीएम मोदी अंतिम सफर के दौरान मां के पार्थिव शरीर को कंधे पर लेकर गांधीनगर के रायसण स्थित घर से निकले और इसके बाद शव वाहन में मां के पास ही बैठे रहे। मां के अंतिम संस्कार के बाद पीएम मोदी ने मोदी ने अपना कोई तय कार्यक्रम रद्द नहीं किया। वे अंतिम संस्कार के बाद सीधे अहमदाबाद स्थित राजभवन गए। वे यहीं से बंगाल में हो रही राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में वर्चुअली जुड़े। पीएम मोदी ने हावड़ा को न्यू जलपाईगुड़ी से जोडऩे वाली वंदे भारत की शुरुआत की।

सरदार पटेल से हो रही तुलना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर्तव्य पथ पर डटे रहने के चलते सोशल मीडिया पर उनकी तुलना लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल से की जा रही है। आजाद भारत के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी 1909 में जो किया था। उसका आज भी उल्लेख किया जाता है। यह वाकया 11 जनवरी 1909 का है। पटेल की पत्नी जवेरबेन पटेल बीमार थीं, पटेल को एक अहम मामले में सुनवाई के लिए कोर्ट जाना था। पटेल कोर्ट चले गए। वे कोर्ट में जिरह कर रहे थे तभी अदालत का एक कर्मचारी आया जिसने जज की इजाजत से एक तार यानी टेलिग्राम पटेल के हाथ में रखा और चला गया। पटेल ने उसे देखकर अपनी जेब में रख लिया और जिरह पूरी की। बाद में सामने आया कि यह टेलीग्राम उनकी पत्नी के निधन का था। बाद में जज को ये घटना पता लगी तो उन्होंने सरदार से पूछा, आपने ऐसा क्यों किया? पटेल साहब ने जवाब दिया- ये तो मेरा फर्ज था। मेरे मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। मेरा केस में हाजिर होना जरूरी था।

मोदी ने पेश की बड़ी मिसाल

सरदार पटेल की तरह पीएम मोदी ने मां के निधन पर बेटे का फर्ज निभाया, लेकिन अपने तमाम कार्यक्रमों को प्रभावित नहीं होने दिया। पीएम वर्चुअली पश्चिम बंगाल के कार्यक्रम में जुड़ेे और संबोधन दिया। पीएम मोदी सुबह 7:45 अहमदाबाद पहुंचे। यहां पर उन्होंने 5 मिनट लोगों से बातचीत की और फिर सीधे गांधी नगर स्थित भाई के घर के लिए रवाना हुए। 8:24 बजे गांधीनगर में भाई पंकज के घर पहुंचे। मां को नमन किया। 8:30 बजे मां को नमन करने के 5 मिनट बाद ही मोदी उनकी पार्थिव देह लेकर घर से निकले। 8:35 बजे पीएम मोदी ने पार्थिव देह शव वाहन में रखी और मां के साथ ही शव वाहन में बैठ गए। पीएम 9:05 बजे गांधी नगर के सेक्टर-30 श्मशान घाट पहुंचे और मां की पार्थिव देह को कंधे पर उठाकर चिता तक पहुंचाया। 9:26 बजे मां हीराबा का अंतिम संस्कार करने के बाद मोदी काफी देर तक वहीं खड़े रहे। मां की चिता को देखते रहे। इसके बाद पीएम मोदी 10:15 बजे राजभवन गए। वहां से वे बंगाल में चल रही गंगा परिषद की बैठक से वर्चुअली जुड़े। इसके बाद पीएम मोदी ने 11:40 बंगाल में हो रहे कार्यक्रम से वर्चुअली जु?कर वंदे भारत ट्रेन समेत कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया।
33 साल बाद गम का पहाड़
यह दूसरा मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गम का पहाड़ टूटा है। 33 साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी के पिता दामोदर दास मोदी का निधन हुआ था। 1989 में पिता के निधन के वक्त पीएम मोदी और उनके परिवार गम का पहाड़ टूटा था। अब एक बार फिर उन्हें गहरा आघात लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उनकी आंखें नम थी। राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत और सतर्क रहे हैं। वे कर्म को तवज्जो देते आ रहे हैं। मां से उन्हें बहुत ज्यादा लगाव था तो उन्होंने उनके न रहने पर बेटे पर धर्म निभाया और फिर सार्वजनिक जीवन में मिले कर्तव्य पथ पर लौट गए।

Share this News...