भाजपा ने गुजरात में 156 सीट जीतकर बनाया नया रिकॉर्ड :हिमाचल-कांग्रेस ने 40 सीटें जीती, BJP 25 पर सिमटी

भाजपा ने गुजरात में 156 सीटों के साथ जीत का नया रिकॉर्ड बना दिया है। कांग्रेस ने 1985 में माधव सिंह सोलंकी की अगुआई में 149 विधानसभा सीटें जीती थीं। वहीं, नरेंद्र मोदी के CM रहते भाजपा ने 2002 के चुनाव में 127 सीटें जीती थीं। इस जीत के साथ भाजपा ने दोनों रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। CM भूपेंद्र पटेल 12 दिसंबर को गांधीनगर में विधानसभा के पीछे हेलीपैड मैदान में शपथ लेंगे।
गुजरात में तो भाजपा ने परचम लहराया ही है, लेकिन मोरबी की जीत पार्टी के लिए खास है। मोरबी में पहले फेज में 1 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। चुनाव से ठीक 31 दिन पहले 30 अक्टूबर को यहां मच्छू नदी पर बना फुट ब्रिज टूटने से 143 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद PM मोदी भी हादसे की जगह पर गए थे।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जनता ने रिवाज कायम रखते हुए राज बदल दिया है। यानी, हर चुनाव की तरह इस बार भी सत्ता बदली है। राज्य की 68 सीटों पर वोटों की गिनती समाप्त हो गई है। अंतिम नतीजों में कांग्रेस ने बहुमत के लिए जरूरी 35 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। कांग्रेस 40 सीटें जीत चुकी है।
वहीं, भाजपा 25 सीटों पर सिमट गई। 2017 के मुकाबले उसे 19 सीटों का नुकसान हुआ। 3 सीटों पर निर्दलियों ने जीत दर्ज की है। MCD चुनाव में भाजपा को हराने वाली आम आदमी पार्टी पहाड़ में खाता भी नहीं खोल पाई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नतीजों के बाद इस्तीफा दे दिया। इधर, कांग्रेस ने नए सरकार के गठन के लिए चंडीगढ़ में निर्वाचित विधायकों की कल बैठक बुलाई है।
भाजपा के 8 मंत्री चुनाव हारे
हिमाचल में हर चुनाव में 45 से 75% मंत्रियों के चुनाव हारने का रिकॉर्ड है। इस बार भी जयराम ठाकुर कैबिनेट के 10 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए। चुनाव हारने वाले मंत्रियों में सुरेश भारद्वाज, रामलाल मारकंडा, वीरेंद्र कंवर, गोविंद सिंह ठाकुर, राकेश पठानिया, डॉ. राजीव सैजल, सरवीण चौधरी, राजेंद्र गर्ग शामिल हैं। जयराम ठाकुर के अलावा बिक्रम ठाकुर और सुखराम चौधरी ही चुनाव जीत पाए।
पिछले 4 चुनाव में करीब आधे मंत्रियों के हारने का रिकॉर्ड
पिछले चार चुनाव का रिकॉर्ड देखें तो हर बार करीब आधे या उससे ज्यादा मंत्री चुनाव हार गए हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस के CM वीरभद्र सिंह कैबिनेट के 11 में से 5 मंत्री चुनाव हार गए। 2012 में BJP सरकार में CM प्रेम कुमार धूमल के 10 में से 4 मंत्री चुनाव हार गए। 2007 में वीरभद्र सिंह ने एक साल पहले विधानसभा चुनाव कराए, लेकिन उनकी कैबिनेट के 10 में से 6 मंत्री अपनी सीट हार गए। इसी तरह 2003 में BJP के CM प्रेम कुमार धूमल की कैबिनेट के 11 में से 6 मंत्री जीत नहीं सके।
भाजपा 150 के पार, कांग्रेस 20 के अंदर सिमटी
गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 156 सीटें जीती हैं। उसे 2017 के मुकाबले 58 सीटों का फायदा हुआ है। वहीं, कांग्रेस को सबसे ज्यादा 60 सीटों का नुकसान हुआ है। पार्टी ने पिछली बार 77 सीटें जीती थीं। इस बार उसे 17 सीटें ही मिली हैं।

निर्दलीय और अन्य कैंडिडेट्स ने गुजरात में 4 सीटें जीती हैं। दिलचस्प बात यह है चुनाव प्रचार के दौरान PM मोदी ने कहा था- नरेंद्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे। चुनाव नतीजों में बिलकुल यही नजर आ रहा है।

मोदी बोले- गुजरात की जन-शक्ति के आगे सिर झुकाता हूं
गुजरात में BJP की विराट जीत के बाद पीएम मोदी ने गुजरात की जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा- गुजरात आपका धन्यवाद। ऐसे नतीजे देखकर मैं अभिभूत हूं। लोगों ने विकास की राजनीति को अपना आशीर्वाद दिया है और यह भी बता दिया है कि वे और भी इस विकास को और भी तेजी से जारी रखना चाहते हैं। मैं गुजरात की जन-शक्ति के आगे सिर झुकाता हूं।

12 दिसंबर को गांधीनगर में CM की शपथ लेंगे पटेल
गुजरात में गुरुवार सुबह 8 बजे से पहले आधे घंटे में पोस्टल बैलेट्स की गिनती के बाद EVM से काउंटिंग शुरू हुई थी। गुजरात भाजपा प्रमुख CR पाटिल ने बताया कि 12 दिसंबर को दोपहर 2 बजे गुजरात के नए मुख्यमंत्री शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे।
सभी मंत्री जीते, CM बोले- जनता को भाजपा पर भरोसा
गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव का जनादेश अब स्पष्ट हो चुका है, यहां की जनता ने मन बना लिया है कि दो दशक से चली आ रही गुजरात की इस विकास यात्रा को अविरत चालू रखना है। यहां के लोगों ने एक बार फिर BJP पर अटूट भरोसा दिखाया है।

AAP पांच सीटों पर सिमटी, लेकिन राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला
आम आदमी पार्टी गुजरात में महज 5 सीटें जीत सकी है। उसके ​​​​तीनों बड़े नेता चुनाव हार गए हैं। इनमें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी, प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया और पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया शामिल हैं। इसके बावजूद वोट शेयर के आधार पर AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। अब पार्टी पूरे देश में अपने नाम और चुनाव चिह्न के साथ लड़ सकेगी।

Share this News...