आस्था के महापर्व छठ पूजा हेतु चांडिल अनुमंडल के घाटों की की गई साफ सफाई

श्रद्धालुओं ने अपने नाम लिख कर अर्घ्य देने हेतु घाट को रखा सुरक्षित

चांडिल : सूर्यदेव की आराधना सह आस्था के महापर्व छठ पूजा के लिए भक्तजन चांडिल अनुमंडल के बामणी जुड़ीया, रावताड़ा जुड़िया, चांडिल डैम के समीप सुवर्णरेखा नदी घाट, शहरबेड़ा घाट, कांदरबेड़ा घाट, गौरी घाट आदि में सूर्य देव को अर्घ्य देने आते हैं। इसलिए श्रद्धालू और ग्रामीणों ने छठ घाटों की साफ सफाई की। श्रद्धालुओं द्वारा घाट को सुरक्षित रखने के लिए अपना नाम भी लिख दिया।
छठ महापर्व के संबंध में चांडिल निवासी विशाल ने कहा कि छठे रूप और भगवान सूर्य की बहन छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है। यह हिंदू कैलेंडर विक्रम संवत में कार्तिक के चंद्र महीने के छठे दिन दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाता है । यह अनुष्ठान चार दिनों तक मनाया जाता है। जिसमे पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी ( व्रत ) से परहेज, पानी में खड़े रहना, और डूबते और उगते सूरज को प्रसाद और अर्घ्य देना शामिल है।
विशाल ने कहा कि पर्यावरणविदों ने दावा किया है कि छठ का त्योहार दुनिया के सबसे पर्यावरण के अनुकूल धार्मिक त्योहारों में से एक है। सभी भक्त समान प्रसाद (धार्मिक भोजन) तैयार करते हैं। हालांकि यह त्योहार नेपाल के तराई क्षेत्र और बिहार , उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल और झारखंड के भारतीय राज्यों में सबसे अधिक व्यापक रूप से मनाया जाता है, यह उन क्षेत्रों में भी प्रचलित है जहां प्रवासी है। दिल्ली और मुंबई में लाखों लोग इसे मनाते हैं। विशाल ने कहा कि छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है। सूर्य देव प्रत्येक प्राणी को दिखाई देता है और पृथ्वी पर सभी प्राणियों के जीवन का आधार है। इस दिन सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, छठी माता बच्चों को बीमारियों और समस्याओं से बचाती है और उन्हें लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य देती है।

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