सुप्रीम कोर्ट ने धर्म या सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ बयान देने के मामले में सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ बयान देने वाला जिस भी धर्म का हो, उस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. पुलिस ऑथरिटी को ऐसे मामलों में औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इतंजार किए बिना, खुद से संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए. देश के सेकुलर चरित्र को संरक्षित रखने के लिए ऐसी कार्रवाई जरूरी है.
दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे बयानों पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करे. कार्रवाई में कोताही को अदालत की अवमानना माना जाएगा. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से 9 अक्टूबर को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा और बाकी के आपत्तिजनक बयानबाजी को लेकर कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है.
राज्यों की पुलिस को नोटिस जारी
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने पूछा है कि हेट स्पीच में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर कोई शिकायत ना हो तो भी पुलिस खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करे. भड़काऊ भाषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर लापरवाही हुई तो अफसरों पर अवमानना कार्रवाई होगी.
‘धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं’
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा या तो कार्रवाई कीजिए, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहिए. सुप्रीम कोर्ट ने भड़काऊ भाषण पर हैरानी जताते हुए कहा कि 21 वीं सदी में ये क्या हो रहा है? धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं? हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया है?