बड़़ाबोतला में राजा ने शुरु की थी पूजा, आदिकाल से चली आ रही है परंपरा
डुमरिया 1 अक्टूबर: मां दुर्गा पूजा के दौरान यहां के बड़ाबोतला सार्वजनीन पूजा कमिटी नवमी के दिन कुछ अलग ही अंदाज पेश करती है यहां भेड़ बकरे की तो बलि चढ़ती ही है इससे अलग यहां एक भैंसा की भी बलि नवमी के दिन चढ़ायी जाती है। पूजा कमिटी के गौरीशंकर दास, बासुदेव दास, हरिपद दास, उमाकान्त दास, दीपक नायेक, पंचानन दास, बलराम नायेक ने बताया कि शशि भूषण दास नामक व्यक्ति के घर केवल बेटी ही पैदा हुई थी बेटा नहीं था। तब शशि भूषण दास पूजा के दौरान मां से मन्नत की थी कि अगर उनके घर बेटा पैदा हुआ तो वह भैंसा की बलि चढ़ाएगा। मां की कृपा से उनके घर एक बालक का जन्म हुआ इसका नाम दुर्गा प्रसाद दास रखा गया।
फिर दुर्गा प्रसाद दास के साथ भी ऐसा ही हुआ उनके घर बालक नहीं कई बालिकाएं ही पैदा हुई, फिर दुर्गा प्रसाद दास ने भी पूजा के दौरान मां दुर्गा से मन्नत की अगर मेरे घर दो बालक का जन्म हुआ तो मैं बलि चढ़ाऊंगा। मां की कृपा फिर रही और एक गौर शंकर दास तथा दूसरा भगीरथ दास हुए। तब से यहां पूजा कराने आये श्रद्धालु जो भी मां से मन्नत मांगते है और जब उनकी मनोकामना पूरी होती है तब वही श्रद्धालु बलि चढ़ाते है। इस दृष्य को देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांव के पुरुष महिला युवक युवती के अलावे उड़ीसा, बंगाल के कई नामचीन शहरों के श्रद्धालु भी आते है। इन ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यहां की पूजा आदिकाल ही हो रही है। राजा उद्धवचन्द्र दास जो 52 मौजा के राजा हुआ करते थे। तब यही उद्धवचन्द दास ने यहां मां दुर्गा की पूजा की शुभारंभ की थी।