चांडिल: नीमडीह प्रखंड अंतर्गत लुपुंगडीह में स्थित नारायण प्राइवेट आईटीआई परिसर में महान स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक प्रोफेसर जटा शंकर पांडे ने कहा कि शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब प्रांत में हुआ था जो अभी पाकिस्तान में है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह करीब बारह वर्ष के थे जब जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। इस उम्र में भगत सिंह अपने चाचाओं की क्रान्तिकारी किताबें पढ़ कर सोचते थे कि इनका रास्ता सही है कि नहीं ? महात्मा गांधी जी का असहयोग आन्दोलन छिड़ने के बाद वे गांधी जी के अहिंसात्मक तरीकों और क्रान्तिकारियों के हिंसक आन्दोलन में से अपने लिए रास्ता चुनने लगे। पांडे ने कहा कि भगत सिंह ने गाँधी जी के अहिंसात्मक आन्दोलन की जगह देश की स्वतन्त्रता के लिए हिंसात्मक क्रांति का मार्ग अपनाना उचित समझा। वे जुलूसों में भाग लेना शुरू किया तथा कई क्रान्तिकारी दलों के सदस्य बने। उनके दल के प्रमुख क्रान्तिकारियों में चन्द्रशेखर आजाद, सुखदेव, राजगुरु आदि थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी तथा 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में उन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी। उनका जो देश के लिए योगदान है वह कभी हम सब भारतवासी भूल नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज जो भी हम सब स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं उसका सारा श्रेय उन स्वतंत्रता सेनानियों को है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनके त्याग और बलिदान को देश कभी भुला नहीं सकता है। आशा ही नहीं पूरा विश्वास है आने वाली पीढ़ी उनके त्याग और बलिदान से अपने देश के प्रति भक्ति भाव की शिक्षा लेगी और देश को परम वैभव की ओर ले जाएगी। इस अवसर पर संस्थान के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के साथ-साथ छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। एडवोकेट निखिल कुमार, शांति राम महतो, जयंत बनर्जी, पवन कुमार महतो, निमाई मंडल, अजय मंडल, जगन्नाथ प्रमाणिक आदि