पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बड़ी कार्रवाई करते हुए भारत सरकार नेउसके उपर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्र सरकार ने UAPA के तहत इस फैसले को लिया है. बता दें कि बीते कुछ दिनों में पीएफआई के कई ठिकानों पर NIA ने छापेमारी की थी. इस छापेमारी के दौरान लगभग 100 से भी ज्यादा पीएफआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी. सूत्रों के मुताबिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने के कई प्रमुख आधार हैं.
ये सभी हैं PFI पर बैन लगाने के कारण
1. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा हिंसक गतिविधियों और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल था, उनकी मौजूदगी 17 प्रदेश में थी.
2. पीएफआई के काडरों को लगातार प्रेरित किया जा रहा था कि वह देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हों और देश की शांति को भंग करें, इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया गया.
3. पुलिस और एनआईए के द्वारा पीएफआई के काडरों पर 1300 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, इसमें उनके संगठन भी शामिल है.
4. अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से भी उनके संबंध की भूमिका साबित हुई है, जिसमें आईएसआईएस और जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश प्रमुख है, इससे संबंधित समय-समय पर एनआईए और राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की जा चुकी है.
5. पिछले 6 सालों में कम से कम 5 हत्याओं के ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पीएफआई के सदस्यों की भूमिका है. इसके अलावा अन्य सदस्यों को प्रेरित करने के लिए इन वारदातों से संबंधित वीडियो भी अपलोड किए गए.
6. पिछले 5 सालों में इन हत्याकांड को केरल और तमिलनाडु में अंजाम दिया गया. अल कायदा और आईएसआईएस की ट्रेनिंग वीडियो से मिलते जुलते वीडियो भी मिले थे.
7. केरल से जिहादी लिटरेचर जांच एजेंसियों द्वारा रिकवर किया गया था, जिससे यह साबित होता है कि पीएफआई की एक मिलिट्री विंग भी थी, जिसमें उनको आर्मी ट्रेनिंग दी जा रही थी.
8. पीएफआई पर प्रतिबंध का मुख्य आधार यह भी है कि लगातार उनके काडरों को हथियारबंद ट्रेनिंग दी जा रही थी, जिससे वह किसी विशेष धर्म या समुदाय के ऊपर टारगेट कर सके.
9. जांच एजेंसियों ने अपनी जांच में पाया कि इस साल कर्नाटक में जुलाई के महीने में हुआ हत्याकांड भी पीएफआई के सदस्यों द्वारा अंजाम दिया गया है. इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का यह भी एक प्रमुख आधार बना था.
10. सारे वित्तीय कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए पीएफआई और उससे संबंधित एजेंसियों को लगातार देश और विदेश से पैसे मिलते रहते थे, जिसका उपयोग वह देश विरोधी गतिविधियां चलाने के लिए करते थे. 500 से ज्यादा संदिग्ध खाते ऐसे हैं, जिसके जरिए पीएफआई को फंड मिलता रहा है और यह विदेश में रह रहे उन भारतीयों के हैं जो नौकरी की तलाश में गए हैं. इसमें ज्यादातर ऐसे हैं जो खाड़ी देशों में नौकरी कर रहे हैं.