नवमी पर मां दुर्गा को चढ़ेंगे 500 तरह के भोग
जमशेदपुर, 27 सितंबर (रिपोर्टर) : टिनप्लेट सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति का यह 90वां दुर्गापूजा महोत्सव है जिसे परंपरागत ढंग से भव्य रुप देने की तैयारियां चल रही हैं। यहां प्रत्येक वर्ष देश की संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास को थीम बनाकर पंडाल और रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष का थीम आदिगुरु शंकराचार्य हैं जिनका भारत का आध्यात्मिक एकीकरण दर्शन को प्रदर्शित किया जाएगा। पंडाल ं श्रीनगर स्थित आदिगुरू शंकराचार्य मंदिर की प्रतिकृति का बन रहा है इसका उद्घाटन षष्ठी के दिन एक अक्टूबर को संध्या सात बजे किया जाएगा जिसमेे ंटिनप्लेट के प्रबंध निदेशक , यूनियन के पदाधिकारी और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति शामिल होंगे।
उक्त जानकारी आज इवनिंग क्लब , टिनप्लेट सार्वजनिक दुर्गापूजा कमिटी के उपाध्यक्ष उदय प्रकाश सिंह एवं कार्यक्रम को आयोजित करने वाली संस्था सहेली की अध्यक्षा श्रीमती सुदेशना डे ने संवाददाताओं को दी। इस मौके पर कमिटी के महासचिव अरुण सरकार, सहेली की सचिव जया सरकार भी उपस्थित थीं । पूजा कमिटी के प्रेसिडेंट और टिनप्लेट के जीएम वकर््स डा एस जे डे अन्यत्र व्व्यस्तता के कारण उपस्थित नहीं हो पाये . ज्ञाप हो कि पिछले वर्ष यहां गौतम बुद्ध की जीवनी पर पंडाल बना था। षष्ठी सप्तमी अष्टमी नवमी को शंकराचार्य की जीवनी पर रंगारंग कार्यक्रम पेश किया जाएगा जिसमें बाहर से भी कलाकार शामिल होगेे। मातृशक्ति की महत्ता को दर्शाते हुए इस वर्ष यहां सप्तमी को महिलाओं द्वारा आरती का विेशेष आयोजन किया गया है।
इस वर्ष पंडाल के अंदर भी आदिगुरू के जीवन से जुड़े 34 पहलुओं का सजीव चित्रण के दर्शन शहरवासियों को होंगे। वहीं, सहेली संस्था की सचिव सुदेशना डे व सेकेट्री जया सरकार ने बताया कि आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा नवमी में मां दुर्गा को चढ़ाए जाने वाले 500 तरह के भोग। इसे समिति के सभी सदस्य अपने घरों से बनाकर लाएंगे। एक अक्टूबर, महाषष्ठी को बोधन पूजा के साथ पंडाल का उद्घाटन होगा। इसके अलावा महासप्तमी को नव पत्रिका प्रवेश, पुष्पांजलि, सुबह-शाम आरती सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। महाष्टमी को बिरष्टमी आरती, पुष्पांजलि, संधि पूजा, संध्या आरती व सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। सुदेशना ने बताया कि आदिगुरू शंकराचार्य के जीवन पर एक लघु नाटक का भी मंचन किया जाएगा। महानवमी को महाप्रसाद के बाद शाम में धुनुची नृत्य के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। पंडाल निर्माण में प्लास्टिक का इस्तेमाल नही किया जा रहा है।