नई दिल्ली
आम लोगों को महंगाई से राहत मिलती नहीं दिख रही है. अगस्त, 2022 में खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के दर पर जा पहुंची है. खाने पीने की वस्तुओं के दामों में इजाफा के चलते फिर से खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी पर जा पहुंची है. जबकि जुलाई में खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी रही थी. इससे पहले जून में 7.01 फीसदी, मई, 2022 में 7.04 फीसदी तो अप्रैल में 7.79 फीसदी खुदरा महंगाई दर रही थी जो कि बीते कई महीनों का सबसे उच्चतम स्तर था. अगस्त महीने में
साग-सब्जियां हुई महंगी
अगस्त महीने में एक बार फिर से खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी आई है. खाद्य महंगाई दर 7.62 फीसदी रहा है जबकि जुलाई में 6.75 फीसदी और जून में 7.75 फीसदी रहा था. साग-सब्जियों की महंगाई दर 13.23 फीसदी के दर से बढ़ी है.
शहरी – ग्रामीण इलाकों में खाद्य महंगाई में इजाफा
अगस्त महीने में शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में खाद्य महंगाई दर में उछाल आया है. शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 7.55 फीसदी रहा है जो जुलाई में 6.69 फीसदी रहा था. जबकि अगस्त 2021 में 3.28 फीसदी खाद्य महंगाई दर शहरी इलाकों में था. वहीं ग्रामीण इलाकों में खाद्य महंगाई दर 7.60 फीसदी रहा है जो जुलाई में 6.73 फीसदी था. बीते साल अगस्त में खाद्य महंगाई दर ग्रामीण इलाकों में 3.08 फीसदी रहा था.
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर के आंकड़े सोमवार को जारी किए गए हैं।
खाने-पीने का सामान खास तौर पर दाल-चावल, गेहूं और सब्जियों की कीमतों के बढ़ने की वजह से महंगाई बढ़ी है। अगस्त में फूड इन्फ्लेशन 7.62% हो गई जो जुलाई में 6.69% थी। जून में 7.75% रही थी। मई महीने में यह 7.97% और अप्रैल में 8.38% थी।
रिटेल महंगाई दर लगातार 8 महीनों से RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार बनी हुई है। जनवरी 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.01%, फरवरी में 6.07%, मार्च में 6.95%, अप्रैल में 7.79%, मई में 7.04% और जून में 7.01% दर्ज की गई थी।
किसने बिगाड़ा कितना बजट?
सामान अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त
अनाज 5.96% 5.33% 5.66% 6.90% 9.57%
मीट और मछली 6.97% 8.23% 8.61% 3.0% 0.98%
दूध 5.47% 5.64% 6.08% 5.84% 6.39%
खाने का तेल 17.28% 13.26% 9.36% 7.52% 4.6%
फल 4.99% 2.33% 3.10% 6.41% 7.39%
सब्जी 15.41% 18.26% 17.37% 10.90% 13.23%
दालें 1.86% -0.42% -1.02% 0.18% 2.52%
मसाले 10.56% 9.93% 11.04% 12.89% 14.90%
सॉफ्ट ड्रिंक्स 5.46% 4.90% 4.88% 4.66% 4.26%
पान, तंबाकू 2.70% 1.15% 1.83% 1.78% 1.67%
कपड़े, फुटवीयर 9.85% 8.85% 9.52% 9.91% 9.91%
फ्यूल एंड लाइट 10.80% 9.54% 10.39% 11.76% 10.78%
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहे तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
महंगाई कम करने के लिए बाजार में पैसों के अत्यधिक बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), रेपो रेट बढ़ाता है। बढ़ती महंगाई से चिंतित RBI ने हाल ही में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.90% से बढ़कर 5.40% हो गया है।
CPI क्या होता है?
दुनियाभर की कई इकोनॉमी महंगाई को मापने के लिए WPI (Wholesale Price Index) को अपना आधार मानती हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। हमारे देश में WPI के साथ ही CPI को भी महंगाई चेक करने का स्केल माना जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक (मेन स्टैंडर्ड) मानता है। अर्थव्यवस्था के स्वभाव में WPI और CPI एक-दूसरे पर असर डालते हैं। इस तरह WPI बढ़ेगा, तो CPI भी बढ़ेगा।
रिटेल महंगाई की दर कैसे तय होती है?
कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।