परिवार पालने के लिए गरीब आदमी इन कथित एलिट क्लास की पिटाई खाने को मजबूर
नई दिल्ली : वो गरीब था तो उसका सरेआम गिरेबां पकड़ लिया। उसे सरेआम भद्दी-भद्दी गालियां दी। बिना कुछ सोचे समझे उसे घसीट-घसीट कर मारने लगे। गेट खुलने में देरी से उनका पारा इतना चढ़ गया कि वो इंसान और जानवर के बीच का फर्क ही भूल गए। ऐसा लगा जैसे उनके अंदर का इंसान बिल्कुल ही मर चुका है। वो पढ़े लिखे थे एक वकील तो दूसरी प्रफेसर। हाइराइज सोसायटी में रहने वाले और इस तरह का व्यवहार करने वाले लोगों की जाहिलियत पर आप थू कहेंगे। लोग तो जानवरों के प्रति भी संवेदना का भाव रखते हैं लेकिन ये लोग तो इंसान को इंसान ही नहीं समझ रहे हैं। पहले सेक्टर 126 की वकील भव्या राय और अब क्लियो काउंटी में रहने वाली प्रफेसर सुतापा दास। सिर्फ पढ़ने से ही आदमी इंसान नहीं बन जाता। इनके जैसे लोग अपनी आदतों से लाचार होकर ये भूल जाते है की वो अपने और आस पड़ोस के लोगों से कैसा व्यवहार करते हैं। इसी तरह गुड़गांव के एक महंगे सोसायटी, द क्लोज नॉर्थ में पिछले महीने कुछ मिनटों के लिए लिफ्ट में फंसे एक व्यवसायी ने गार्ड के साथ बदसलूकी की। लिफ्ट में निकलने के बाद उसकी पहली प्रतिक्रिया गार्ड को थप्पड़ मारने की थी। वह गार्ड जिसने दरवाजा खोलने में मदद की थी। सोसायटी के गेट पर खड़े लोगों के साथ एक के बाद इस तरह की जो घटनाएं सामने आ रही हैं उन लोगों का दर्द और पीड़ा कितनी है, इस बात का अंदाजा शायद बहुत से लोगों को ना हो। 12-12 घंटे तक गेट पर खड़े होकर अपनी ड्यूटी कर रहे शख्स का भी आत्मसम्मान है, परिवार है, उसकी जिम्मेदारियां हैं। इन सब के लिए वह सबकुछ सहने को तैयार है।
नौकरी खोने के डर से कुछ नहीं कहा
लिफ्ट से निकलने के बाद जिस गार्ड को थप्पड़ मारा था उसका नाम अशोक कुमार था। अशोक को अगर अपनी नौकरी खोने का डर नहीं होता, तो वह घटना के बाद आसानी से टूट सकता था। अशोक रोज 12 घंटे नौकरी करता है। उसे मुश्किल से सप्ताह में एक दिन की छुट्टी मिल पाती है। महीने के अंत में, वह 15,000 रुपये का वेतन घर ले जाता है। इससे उसे परिवार चलाना होता है। घर में बेटी की शादी के लिए पैसे भी बचाने होते हैं। दो बेटों की ट्यूशन फीस देनी होती है। घटना को अंजाम देने वाले बिजनसमैन के खिलाफ केस दर्ज होने और उसी स्थान पर काम पर लौटने का अपमान सहने के बाद उन्हें माफी मिल गई थी। अशोक के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। अशोक बताते हैं कि वह 10 साल पहले यूपी के औरैया से गुड़गांव आए थे। यहां तब से वह गार्ड के रूप में काम कर रहे हैं।
गार्ड की जरूरत बढ़ी लेकिन तव्वजो नहीं मिलती
अशोक को थप्पड़ मारने से लगभग एक हफ्ते पहले, नोएडा के जेपी विश टाउन में अनूप कुमार और उनके कुछ साथी गार्डों के साथ महिला वकील ने बदसलूकी की थी। महिला वकील गेट खोलने में देरी से नाराज थी। घटना के बाद वकील को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया। उस दौरान अपमान झेलने वाले अनूप लंबे समय इसे भूल नहीं पाएंगे। एनसीआर में बहुमंजिली इमारतों में रहने वाले लोगों की सोसायटीज का गार्ड एक अनिवार्य हिस्सा है। जैसे-जैसे समाज में लक्जरी सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है, फ्लैट दिन-ब-दिन आलीशान होते जा रहे हैं। ऐसे में गार्ड की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद इन लोगों को वो तव्वजो नहीं मिलती जिसके ये हकदार हैं।