दुमका में अंकिता जिंदा जला दी गई। एक सिरफिरे आवारा शाहरुख ने एक तरफा प्यार में इस मासूम की जिंदगी ले ली। इस एक घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है, साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिये है। इस सवालों का उठना स्वाभाविक भी है। सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट झारखण्ड के हालात पर गंभीर टिप्पणी कर रहे है। राज्यपाल का भी कहना है कि यहां बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है। न मॉल में न सडक़ पर और न ही घर में। लगातार धरना-प्रदर्शन हो रहे है और लोग अपने-अपने तरह से आक्रोश व्यक्त कर रहे है। यह सब वैसे समय में हो रहा है जब हेमंत सोरेन सरकार सियासी संकट से जूझ रही है। मुख्यमंत्री ने जरूर पीडि़त परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराई है और राज्य के एडीजी को पूरे घटना के मद्देनजर दुमका भेजा है। अभी थोड़े ही दिन बीते है कि पूरे देश के श्रद्धालु श्रावण मास में इसी क्षेत्र के बासुकीनाथ दर्शन के लिये जुटे थे। अभी भादो माह में भी श्रद्धालुओं का आना जारी है। लेकिन इस ताजा घटनाक्रम ने पूरे माहौल को ही बदल कर रख दिया है।
इस घटनाक्रम को लवजेहाद से भी जोडक़र देखा जा रहा है। क्योंकि शाहरुख को इस घटना के लिये उकसाने वाले उसके मित्र नईम के बारे में जो जानकारियां आ रही है वह बेहद खतरनाक है। नईम के बारे में पता चला है कि वह बांग्लादेशी संगठन अंसार उल बंगला से प्रभावित है। यह वही संगठन है जो वहां हिन्दुओं पर हिंसक हमले करता था। इस्लाम को लेकर टिप्पणी करने वालों की हत्या कराता है। नईम ने ही शाहरुख को पेट्रोल दिया था। जिससे अंकिता जलाई गई। अंकिता को शाहरुख पिछले लम्बे समय से सता रहा था। देश मेें एक माहौल बनाकर रखा गया है कि मुसलमान खौफ में है जबकि दुमका की घटना कुछ और ही बयां करती है। यहां आवारा किस्म के एक मुसलमान लडक़े से हिन्दू परिवार खौफ में था। और इतनी बड़ी घटना हो गई। जाहिर है ऐसे मामलों में पुलिस की भूमिका अहम् हो जाती है। स्थानीय पुलिस पर आरोपियों की तरफदारी करने का आरोप लग रहा है। जिस अंदाज में गिरफ्तारी के बाद शाहरुख हंसता हुआ जाता दिखता है वह दर्शाता है कि उसमें पुलिस प्रशासन का कोई खौफ नहीं था। जली अंकिता के इलाज में भी कोताही बरते जाने की बात सामने आ रही है। हाल ही नुपुर शर्मा मामले में रांची में भडक़ी हिंसा में पुलिस पर हमला करने वाले एक मुस्लिम युवक के जवाबी फायरिंग में घायल होने पर इसे बेहतर इलाज के लिये सरकारी खर्च पर एयर एम्बुलेंस से दिल्ली भेजा गया था। अब इसे लेकर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। मासूम सी अंकिता की मौत ने जो कई सवाल खड़े किये है, उसका उत्तर भी समाज तलाश रहा है। लेकिन ऐसी हर घटना का वही हश्र होता है। अंकतिा की चिता की आग ठंडी होने के साथ ही वह भुला दी जाएगी और फिर किसी अंकिता को कोई शाहरुख परेशान करता दिखेगा। कही लोकलाज के भय से तो कहीं पुलिस की लापरवाही से वह पीडि़त परिवार इसी तरह आंसू बहाता या खौफ में जीता दिखेगा