कला संगीत विशेष
गीतकार, संगीत कंपोजर, अभिनेता, संगीत शिक्षक, वाद्ययंत्रों का कुशल वादक आदि बहुमुखी प्रतिभा के है धनी
बंगला, हिंदी, भोजपुरी, उड़िया, नागपुरी व अंग्रेजी में गाते व करते हैं गीतों की रचना
मनुष्य के मन में दृढ़ संकल्प, निश्चय, विश्वास, लगन और इच्छाशक्ति के साथ परिश्रम की राह पर चलने की क्षमता हो तो वे निश्चित रूप से सफलता के मंजिल तक पहुंच कर ही रहेगा। जमशेदपुर के बिरसानगर जोन नंबर – 1 निवासी भाग्यधर सहिस दृढ़ संकल्प व कठिन परिश्रम के कारण ऐसे ही एक बहुमुखी प्रतिभा गीतकार, संगीत कंपोजर, संगीत शिक्षक, अभिनेता तथा हारमोनियम, गिटार, तबला, ढोलक, पियानो आदि वाद्ययंत्रों का कुशल वादक है। महान कवि रामधारी सिंह दिनकर जी के कविता ‘वाटिका और वन एक नहीं, आराम और रण एक नहीं। वर्षा, अंधड़, आतप अखंड, पौरूष के हैं साधन प्रचंड। वन में प्रसून तो खिलते हैं, बागों में शाल न मिलते हैं। जो लाक्षा गृह में जलते हैं, वे ही शूरमा निकलते हैं।’ ऐसे उक्ति से प्रेरणा लेकर और कठिन अध्यवसाय के राह पर चलकर भाग्यधर यहां तक पहुंचने में कामयाब हुए। भाग्यधर महान संगीतकार आर डी बर्मन, एआर रहमान, अन्नु मल्लिक, जीत गांगुली व अमल मल्लिक को अपना प्रेरणास्रोत और आदर्श मानकर उनके नक्से कदम पर चलने का प्रयास करते हुए सफल गीतकार, संगीतकार बनने के पथ पर अग्रसर है। भाग्यधर का यौवन की दहलीज में सत्य प्रेम की एक झोंके आयी थी और चली गई, उसकी विरह ने भी गीतकार बनने का प्रेरणा देकर गई। साथ ही उनके मन का दुःख, दर्द भी गीतकार बनने का प्रेरणास्रोत है।
भाग्यधर ने भारत का सर्वश्रेष्ठ संगीत महाविद्यालय चंडीगढ़ के अंगीभूत बिंदुवासिनी कॉलेज ऑफ म्यूजिक परसुडीह जमशेदपुर से शास्त्रीय संगीत में प्रथम श्रेणी में डिस्टिनेसन 99 प्रतिशत अंक के साथ वर्ष 2014 में मास्टर डिग्री का उपाधि प्राप्त किया है। भाग्यधर ने शास्त्रीय संगीत, राग गीत, सभी प्रकार के भजन, गजल, कवाली, हिंदी फिल्मी गीत, श्यामा संगीत, रविंद्र संगीत, नजरुल गीति, लोकगीत, वेस्टर्न आदि संगीत का शिक्षा ग्रहण किया। उसके बाद वे संगीत शिक्षक बने, विगत सात साल में 22 छात्र छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण सभी प्रकार के संगीत का शिक्षा दिया और अब भी नियमित रूप से संगीतप्रेमियों को शिक्षा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि संगीत की शिक्षा पूर्ण करने वाले सभी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। भाग्यधर हिंदी, बंगला, भोजपुरी, उड़िया, नागपुरी व अंग्रेजी भाषाओं में गीत लिखते, गाते और कंपोज करते हैं। कला व संगीत प्रेमियों को संदेश देते हुए भाग्यधर कहते हैं कि ‘संगीत ब्रह्मांड को आत्मा देता है, मन को पंख देता है, मनुष्यों के कल्पना और जीवन को हर राहों पर उड़ान देता है’।