फाइलों पर बनती रही ‘जलेबी’, सरायकेला कोर्ट डूब गया पानी में

Seraikella, 20 Aug: सरकारी विभागों में संचिकाओं पर बननेवाली जलेबी के दुष्परिणाम का ताजा उदाहरण आज फिर सरायकेला कोर्ट परिसर में देखने को मिला जहां जल जमाव से तालाब बन गया और न्यायिक कार्य बुरी तरह बाधित हुए,वाहन पानी में फंसे. यहं जल जमाव कोई नयी घटना नहीं है, आश्चर्य इस बात का है कि उच्च न्यायालय द्वारा जल जमाव रोकने और जल निकासी के आवश्यक उपाय करने के निर्देश के बाद भी भवन निर्माण विभाग संचिका को गोल-गोल घुमाता रहा, जबकि इस कार्य को 10 अगस्त तक पूरा कर देने की बात थी.
जिला बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश ने आज अत्यंत ही निराश होकर कहा कि विभाग की लापरवाही और उसके दुष्परिणाम की स्थिति में अब हमें न्याय के लिये पुन: उच्च न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दायर करनी होगी. उच्च न्यायालय के आदेश पर जल निकासी संबंधी कार्य के लिये एक करोड़ 70 लाख 82 हजार का मूल प्राक्कलन बनाया गया था, जिसे काट-कूटकर सचिव भवन निर्माण विभाग ने सिर्फ 89 लाख रुपये कर दिये थे. इस राशि पर संवेदक ने काम शुरु करने से इंकार कर दिया और प्राक्कलन में आवश्यक सुधार करने की मांग की. बार एसोसिएशन द्वारा लगातार विभाग को खासकर मुख्य सचिव को 23 अप्रैल, 2022 को ही वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था लेकिन काम शुरु नहीं हुआ और झारखंड में पिछले 24 घंटे से हो रही मुसलाधार बारिश आज जैसे कि आशंका थी कोर्ट परिसर को पूरी तरह पानी से लबालब कर दिया. यहां जल जमाव कोई नयी समस्या नहीं है, कोर्ट परिसर सडक़ से पांच-सात फीट नीचे बना हुआ है, जहां गर्मी के कुछ दिनों को छोड़ दिया जाए तो हमेशा नमी बनी रहती है. मच्छर आदि से डेंगू मलेरिया आदि बीमारी का खतरा बना रहता है. सदैव जल में डूबे रहने के कारण भवनों की नींव क्षतिग्रस्त हो चुकी है और प्लास्टर झड़ते रहते हैं. करोड़ों रुपये की लागत पर ब ने कोर्ट भवन में इतनी बड़ी इंजीनियरिंग चूक का यह बेमिसाल उदाहरण है जिसमें सुधार के लिये भी उतने ही बेमिसाल ढंग से खिलवाड़ किया जा रहा है.

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