डॉक्टरों को टैबलेट लिखने के लिए Dolo-650 के निर्माताओं ने दिए 1,000 करोड़? SC ने केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र से दवा कंपनियों से जुड़ी एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने जनहित याचिका पर 10 दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में कहा गया कि दवा कंपनियां डॉक्टरों को उनकी दवाओं की सलाह देने के लिए कई तरह के उपहार ऑफर करती है। ऐसे में इन मुफ्त उपहारों के लिए दवा कंपनियों को उत्तरदायी बनाया जाए। डोलो-650 मिलीग्राम टैबलेट के निर्माताओं ने मरीजों को अपनी बुखार-रोधी दवा निर्धारित करने के लिए मुफ्त उपहारों में ही 1,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। डॉक्टर एक तर्कहीन खुराक संयोजन लिख रहे थे,” वकील ने कहा। उन्होंने अपनी जानकारी के स्रोत के रूप में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया।

पीठ का नेतृत्व न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ कर रहे थे, जिसमें न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना भी शामिल थे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कगा कि, “आप जो कह रहे हैं वह मेरे कानों में संगीत सरीखा नहीं है। ये (दवा) ठीक वही है जो मेरे पास कोविड के वक्त था। फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की जनहित याचिका ने भारत में बेची जा रही दवाओं के फार्मूलेशन और कीमतों पर नियंत्रण को लेकर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने संजय पारिख की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है।

ये एक गंभीर मुद्दा है

अदालत ने अब केंद्र से एक सप्ताह के भीतर जनहित याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है और 10 दिनों के बाद मामले की फिर से सुनवाई की जाएगी। पीठ ने टिप्पणी की ये एक गंभीर मसला है, इसे प्रतिकूल मुकदमे के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। महासंघ ने एक जनहित याचिका दायर कर दवा कंपनियों को उनकी दवाओं को लिखने के लिए प्रोत्साहन के रूप में डॉक्टरों को मुफ्त देने के लिए उत्तरदायी बनाने का निर्देश देने की मांग की है। याचिका में केंद्र से यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज (यूसीपीएमपी) को वैधानिक समर्थन देने के लिए केंद्र से निर्देश देने की मांग की गई है।
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बता दें कि डोलो 650 का इस्तेमाल बुखार कम करने के लिए किया जाता है। इलके अलावा इस दवा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर पेन किलर के रूप में भी किया जाता है। इस वजह से कोविड के दौरान डॉक्टरों ने इस दवा को रिकमेंड किया था। जिसकी वजह से इसके इस्तेमाल में अचानक से बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी हुई है।

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