भूमिहार विवाह बंधन बातें ने अपनी टेलीग्राम पर वर्चुअल बैठक के माध्यम से 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत माता की आजादी की लड़ाई में भूमिहारों की भूमिका बिषय पर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने आजादी के आंदोलन में ब्रह्मर्षियों के योदगान का जिक्र किया और इस बात पर गर्व महसूस किया कि उनके समाज की भूमिका स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बढचढकर रही। मुख्य अतिथि रांची विवि के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डा जंग बहादुर पाण्डेय ने कई स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए खास तौर पर बिहार केशरी डा श्रीकृष्ण सिंह के योगदानों की चर्चा की और कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में तो काफी अहम भूमिका निभाई ही, बिहार के निर्माण में भी पहले मुख्य मंत्री के तौर पर उनके योगदानों को सदैव स्मरण किया जाता है। उनकी दूरदर्शिता का ही परिणाम रहा कि उस दौरान बिहार के कई अनूठी संस्थाओं का शुभारंभ किया गया। वे सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे इस कारण इतने लोकप्रिय भी रहे।
स्वामी रंगरामानुजाचार्य लक्ष्मीनारायण मंदिर हूलासगंज जहानाबाद के प्रधान डा0 रंगेश शर्मा , जहानाबाद ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में ब्रह्मर्षियों का बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने भगवान परसुराम से लेकर सुदामा तक का जिक्र किया और कहा कि समाज में दान देने और दान लेने दोनो में इनका योगदान बहुत बड़ा रहा।
विशिष्ट अतिथि चमकता आईना के संपादक ने सहजानंद सरस्वती, राम धारी सिंह दिनकर, योगेंद्र शुक्ल, बैकुंठ शुक्ल, उनकी धर्मपत्नी सहित कई विभूतियों का जिक्र करते हुए कहा कि आप सभी प्रख्यात पत्रकार एवं चमकता आईना के संस्थापक स्व ब्रह्मदेव सिंह शर्मा को महान पत्रकार , साहित्यकार के रुप में जानते हैं लेकिन वे इन सबके पहले एक स्वतंत्रता सेनानी थे। सीवान जिले के कृष्णपाली गांव में जन्में स्व शर्मा का झुकाव बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन कीओर हो गया था। वे साल 1932 में धनबाद आगे की पढाई के लिये आये तो यहां भी वे इस आंदोलन से जुड़ गये। वे जय प्रकाश नारायण के संपर्क में रहे । फिर आजादी की पहली किरण के साथ 15 अगस्त 1947 को आवाज का प्रकाशन प्रारंभ किया। कालांतर में वह चमकता आईना के रुप में पत्रकारिता के अलख को जलाए हुए है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा0 बालमुकुंद पैनाली हिन्दी के पूर्व विभागाध्यक्ष कोल्हान यूनिवर्सिटी, ने कहा कि हमें ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों की चर्चा करनी चाहिये जो गुमनाम हो गये हैं। उन्होंने कहा कि हमें ब्रह्मदेव सिंह शर्मा के योगदानों को कभी नहीं भूलना चाहिये। वे बेहद निडर पत्रकार थे और कभी कलम के साथ उन्होंने समझौता नहीं किया। अंग्रेज तो उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाये लेकिन स्वतंत्र भारत की पुलिस ने लेखनी के लिये उनको गिरफ्तार कर लिया था।
कार्यक्रम का संचालन-डा 0 अनिता शर्मा (शिक्षा विद, साहित्यकार)ने किया। मंगलाचरण-कमलनयन गया ने पेश किया। स्वागत भाषण-अरविंद चौधरी (कनाडा) ने दिया। बिषय प्रवेश -सुधीर कुमार सिंह, ने कराया। धन्यवाद ज्ञापन- डा0 रघुनंदन प्रताप साही क्लास वन अधिकारी गुजरात सरकार ने दिया।
वर्चुअल बैठक में विनोद शुक्ला-राकेश कुमार राय-बोकारो ,दीपक-बैंगलोर, उज्जवल सम्राट- दुर्गापुर ,कुमार गौरव कश्यप- बख्तियारपुर, विनीत जी- आदित्यपुर, विनोद राय -गम्हरिया विमल कुमार ओझा-सरायकेला, अमित कुमार-फिनलैंड ,एस पी सिंह – बेंगलुरु, नरेश कुमार -सीतामढ़ी, धीरज कुमार- कोलकाता ,राम कृष्णा सिंह- बाढ़ , मोनू सिंह-छपरा, राजकुमार जी- जहानाबाद, कुमारी रंजना- दिल्ली , आशा चौधरी- मुजफ्फरपुर , संजय कुमार रमन- मोतिहारी ,सुधीर कुमार राय-गोरखपुर, मधुसूदन शर्मा, नितेश कुमार, रामप्रवेश शुक्ला- जमशेदपुर ,अशोक कुमार सिंह- बेगूसराय,आशुतोष कुमार सिंह- -बागबेरड़ा ,अमरेश पांडे ,मीतू सिंह- बेंगलुरु, नितेश कुमार,राजमनी आदित्य कुमार ठाकुर-फरीदाबाद संजय कुमार राय-गुजरात,जय सत्यम पांडे-रामगढ़ ,मुकेश कुमार-गिरिडीह आशा चौधरी-मुजफ्फरपुर, इत्यादि का पी संख्या में परिवार के लोग देश भर तथा विदेशों से शामिल होकर आयोजन को यादगार बनाया।
बिषय प्रवेश कराते हुए सुधीर कुमार सिंह ने कहा भूमिहार विवाह बंधन बातें अपनी के माध्यम से प्रत्येक रविवार संध्या 07बजे से 08बजे तक अपने परिवार के कुरीतियों पर चर्चा करना एवम् उसके निवारण के लिए काम करना मुख्यत: मंच के द्वारा परिवार हित में कर्ई कार्यक्रम चलाया जा रहा है।33 वाटसेप समूह का संचालन पुरे देशभर में किया जा रहा है जिसके माध्यम से लोग अपने बच्चे बच्चियों का बायोडेटा फोटो विवाह हेतु समूह में भेजते हैं।