बिहार की राजनीति में लगातार नए-नए कयास लगाए जा रहे हैं। नीतीश कुमार की चुप्पी के सही मायने भी निकाले जा रहे हैं। इन सबके बीच नीतीश कुमार का एक और बड़ा फैसला किया है। नीतीश कुमार ने ऐसा फैसला लिया है जिसके बाद इस बात की चर्चा और जोरों पर हो जाएगी कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री वाकई भाजपा से नाराज चल रहे हैं? दरअसल, 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक होनी है। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने फिलहाल इस बैठक से दूरी बना ली है। हालांकि, इस दूरी का कारण अब तक पता नहीं चल पा रहा है। खबर तो यह भी है कि नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को इस बैठक के लिए भेजना चाहते थे। लेकिन उनसे साफ-साफ कहा गया है कि इसमें केवल मुख्यमंत्री ही शामिल होता है। उनका कोई प्रतिनिधि नहीं।
नीतीश कुमार की दूरी से यह बात तो साफ हो गया कि नीति आयोग की बैठक में इस बार बिहार का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा। नीति आयोग की रिपोर्ट से नीतीश कुमार थोड़े खफा रहते हैं। कई ऐसे मौके पर नीतीश कुमार ने अपनी नाराजगी भी जताई है। विकसित राज्यों की श्रेणी में भी बिहार को नीति आयोग की रिपोर्ट पर नीचे रखा गया था जिस पर नीतीश कुमार ने अपनी नाराजगी जताई थी। दावा तो यह भी किया जा रहा है कि नीतीश कुमार सोमवार को जनता दरबार में मौजूद रहेंगे। कुछ दिन पहले वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे जिस वजह से जनता दरबार वह नहीं लगा पा रहे थे। ऐसे में वह सोमवार को जनता दरबार में शामिल हो सकते हैं।
हालांकि, यह ऐसा पहला मौका नहीं है जब देश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आयोजित हुई बैठक से दूरी बनाई है। कुछ दिन पहले ही तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भोज का आयोजन किया था। उसमें भी नीतीश कुमार को आमंत्रण था। लेकिन वह शामिल नहीं हुए थे। इसके साथ ही नीतीश कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे। उससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें नीतीश कुमार भी शामिल नहीं हुए थे। इस बैठक में नीतीश कुमार ने अपने उप मुख्यमंत्री को भेजा था। जानकारी के मुताबिक इस बार नीति आयोग की बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि, नीतीश कुमार के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी इस बैठक से दूरी बनाई है।