चांडिल : यह क्या है एसडीओ साहब? आप तो सीओ भी रह चुके हैं फिर एक ही जमीन को अलग – अलग कैसे समझ रहे हैं

सरायकेला- खरसवां जिला का चांडिल अनुमंडल कार्यालय व अंचल कार्यालय के कारनामों की चर्चा जोरों पर है। इन दिनों जमीन विवादों में झोल झाल करने में अधिकारियों के हाथ रंगे होने के चर्चा है। वहीं, जमीन कारोबारियों की चांदी है। भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ा हुआ है तो दूसरी ओर राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री के साख पर भी बट्टा लग रहा है।
अब चांडिल अनुमंडल के कपाली मौजा का एक मामला सामने आया है, जिसमें चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल खड़े होने के पीछे कारण है कि इस मामले में अनुमंडल पदाधिकारी स्वयं कमान संभाल रखे हैं लेकिन कई गड़बड़ी देखने को मिल रही हैं लेकिन वास्तविकता क्या है, यह पूरी जांच के बाद ही सामने आएगी।
आइए जानें पूरा मामला :
दरअसल बलराम महतो एवं विष्णु महतो ने चांडिल अनुमंडल न्यायालय में अपने जमीन को कब्जा मुक्त कराने का का आवेदन किया था। आवेदन में बताया कहा गया था कि कपाली मौजा अंतर्गत खाता संख्या 215 के प्लॉट संख्या 275 व 276 पर कमारगोड़ा के किसी मो० मुस्तफा द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है, जिसे कब्जा मुक्त कराई जाय। बलराम महतो के आवेदन के आधार पर चांडिल अनुमंडल दंडाधिकारी ने अपने कोर्ट से दोनों पक्ष को उपस्थित होने एवं जमीन संबंधित कागजात प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया। निर्धारित तिथि पर आवेदक बलराम महतो के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा। वहीं, जमीन के दस्तावेजों को भी प्रस्तुत किया। जबकि, द्वितीय पक्ष मो० मुस्तफा उपस्थिति दर्ज नहीं कराई और ना ही उसकी ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित हुआ। बलराम महतो के पक्ष को सुनने एवं जमीन के दस्तावेजों के आधार पर अनुमंडल कोर्ट ने बलराम महतो के पक्ष में निर्णय दिया। उक्त जमीन को बलराम महतो का बताया गया।
लेकिन मामला यहां शांत नहीं हुआ, बल्कि मामले ने यू टर्न ले लिया। जिसका समाधान आजतक नहीं हुआ, उक्त मामले को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी अबतक खींच रहे हैं। उक्त जमीन को पुनः विवादित ठहराया गया है, जिसके पीछे अनुमंडल पदाधिकारी और अंचलाधिकारी का बड़ा खेल बताया जा रहा है। इस मामले में लोगों के बीच चर्चा है कि चांडिल प्रशासन ने माफियाओं के इशारे पर मिलीभगत से दो परिवारों के रातों की नींद हराम कर रखी है। जब पूरा मामला आप समझेंगे तो आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
चांडिल प्रशासन है कि जबरन इस मामले में हाथ पैर निकालने में लगे हैं। यहां बता दें कि उक्त जमीन के चक्कर में कई अधिकारियों ने अपना जमीर भी बेच खाया है। दूसरी ओर माफियाओं के दिलों दिमाग में जमीन हथियाने का ऐसा धुन सवार है कि नोटों की ताकत से प्रशासन से कुछ भी करवा सकते हैं। यहां तक की फर्जीवाड़ा भी करवा सकते हैं। इस मामले में फर्जीवाड़े का पराकाष्ठा देखने को मिल रही हैं।
अब उक्त जमीन पर किसी चंद्र मांझी ने भी दावा किया है। चंद्र मांझी ने भी अनुमंडल पदाधिकारी को आवेदन किया है और अपना जमीन कब्जा दिलाने का मांग किया है। बताया जाता है कि चंद्र मांझी को किसी बड़े जमीन कारोबारी ने ही खड़ा किया है और उस कारोबारी के इशारे पर अधिकारी भी नाच रहे हैं। इधर, जमीन छीन जाने के डर से बलराम महतो ने भी अनुमंडल पदाधिकारी से गुहार लगाई है। अब दोनों पक्षों ने अपने जमीन का विवरण कुछ इस तरह से दिया है –
बलराम महतो – मौजा कपाली, खाता संख्या 215, प्लॉट संख्या 275 व 276, जिसमें कुल रकवा 52 डिसमिल।

चंद्र मांझी – मौजा कपाली, खाता संख्या 126, प्लॉट संख्या 275 व 276, जिसमें कुल रकवा 52 डिसमिल है

अब यहां जमीन संबंधित मामलों के जानकारों का कहना है कि एक ही मौजा में दो अलग अलग खाता तो हो सकता है लेकिन एक ही मौजा के अंतर्गत दो अलग अलग प्लॉट के नंबर एक ही तरह के नहीं हो सकते है। अंततः झारखंड में तो ऐसा मामला नहीं देखने को मिलता है। एक मौजा के अधीन अलग अलग कई खाता संख्या होते हैं, जिसके अंतर्गत अलग अलग प्लॉट नंबर होते हैं। लेकिन इस मामले में खाता संख्या 215 (बलराम महतो) और खाता संख्या 126 (चंद्र मांझी) दोनों के प्लॉट नंबर 275 और 276 हैं, ऐसा कैसे हुआ और इसके जिम्मेदार कौन हैं? इतना ही नहीं बीते एक साल से इस मामले को लेकर दोनों पक्ष कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। दूसरी ओर अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा भी फ़िल्म सीने स्टार सन्नी देओल के डायलॉग की तरह तारीख पर तारीख – तारीख पर तारीख दिए जा रहे हैं। वहीं, अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा ने भी शायद समान प्लॉट नंबर के मामले पर गौर नहीं किया है, या जानबूझकर मामले को उलझाने में लगे हैं? यह कहना बड़ा मुश्किल है। बताया जाता है कि अनुमंडल पदाधिकारी रंजीत लोहरा इससे पूर्व में स्वयं भी लंबे समय तक राज्य के विभिन्न अंचलों में अंचलाधिकारी के रूप में कार्यरत रहे हैं, इसके बावजूद इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर रहे हैं?
बलराम महतो और चंद्र मांझी के मामले में एक ही तरह के प्लॉट नंबर को आवेदन में देखने के बाद भी उन्होंने लगातार निर्देश जारी किए हैं।
सबसे पहले बीते 11 मार्च 2022 को अनुमंडल पदाधिकारी ने चंद्र मांझी को निर्देश दिया है कि वह खाता 215 के प्लॉट नंबर 275 व 276 में निर्माण कार्य ना करें, क्योंकि उक्त जमीन बलराम महतो की है, चंद्र मांझी को निर्देश देते हुए कहा गया था कि खाता 126 के प्लॉट नंबर 275 व 276 आपकी है, वहां आप निर्माण कार्य कर सकते हैं। इसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी ने 23 मार्च 2022 को चांडिल अंचलाधिकारी को निर्देश जारी किया कि कपाली मौजा के खाता 215 के प्लॉट 275 व 276 तथा खाता 126 के प्लॉट 275 व 276 दोनों खाता का रकवा 52 डिसमिल जमीन पर बलराम महतो तथा चंद्र मांझी द्वारा अपना अपना दावा किया जा रहा है, इसलिए अंचल कार्यालय के पंजी – 2 की जांच कर वास्तविकता से अवगत कराएं। इधर, अनुमंडल पदाधिकारी ने कपाली ओपी को भी उक्त जमीन पर निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है।

इस मामले में मजे की बात यह है कि अनुमंडल पदाधिकारी ने अपने निर्देश पर जमीन के दोनों पक्षों (दावेदारों) को अपने – अपने जमीन का सीमांकन कराने का भी आदेश दिया है। जब एक ही जमीन है और दो दावेदार तो भला कैसे दोनों अपने अपने जमीन का सीमांकन कराएं। अब कपाली के ग्रामीणों का कहना है कि समय की बर्बादी और दावेदारों की परेशानी को देखते हुए अधिकारियों की मौजूदगी में सबसे पहले तो दो अलग – अलग जमीन का स्थल निरीक्षण हो। पहले दो अलग अलग जमीन तो धरातल पर दिखे, फिर बाद में फैसला होगा कि किस जमीन का मालिक कौन हैं?
हो ना हो इस पूरे मामले ने यह उजागर कर दिया है कि चांडिल प्रशासन के नाक तले जमीन संबंधित कागजातों से जमकर छेड़खानी की जा रही हैं। वहीं, प्रशासन के ऊपर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर अनुमंडल पदाधिकारी ने कागजातों की जांच के लिए बंदोबस्त अधिकारियों को आवेदन क्यों नहीं भेजा है?
इस मामले को लेकर चांडिल के अंचलाधिकारी प्रणव अम्बष्ट ने बताया कि इस मामले को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी ने दावेदारों की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट मांगी है लेकिन पंचायत चुनाव एवं अन्य कार्यालय के कार्यों के व्यस्तता के कारण रिपोर्ट नहीं समर्पित नहीं कर पाए हैं लेकिन अब रिपोर्ट भेजेंगे। उन्होंने बताया कि अनुमंडल पदाधिकारी ने पंजी – 2 के आधार पर रिपोर्ट मांगी है, इसलिए पंजी – 2 पर जिसका जमाबंदी दर्ज होगा, उसी आधार पर रिपोर्ट बनाकर भेजा जाएगा। सीओ ने बताया कि आम तौर पर एक मौजा के अधीन प्लॉट नंबर एक नहीं हो होते हैं, लेकिन इस जमीन विवाद में ऐसा क्यों है इसकी विस्तृत जानकारी लेने के लिए बंदोबस्त कार्यालय से जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं।

Share this News...