श्रीनगर 15 जविैआ जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने किया था। रूबिया ने शुक्रवार को ष्टक्चढ्ढ की विशेष अदालत के सामने गवाही में यासीन मलिक समेत तीन आतंकियों की पहचान की, जिन्होंने उनका अपहरण किया था। रूबिया पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की बहन हैं।
यह पहली बार है, जब रूबिया को इस मामले में पेश होने के लिए कहा गया था। वे फिलहाल तमिलनाडु में रहती हैं। रूबिया का अपहरण 8 दिसंबर 1989 को हुआ था। उनकी रिहाई के लिए 13 दिसंबर को सरकार को 5 आतंकवादी छोडऩे पड़े थे। उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद भारत के गृहमंत्री थे। ष्टक्चढ्ढ ने 1990 की शुरुआत में इस केस की जांच अपने हाथ में ले ली थी।
तस्वीरों के आधार पर हुई पहचान
रूबिया के वकील अनिल सेठी ने बताया कि वह ष्टक्चढ्ढ के सामने अपने पहले दिए गए बयान पर कायम हैं। उन्होंने ष्टक्चढ्ढ जांच के दौरान उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर यासीन मलिक और तीन अन्?य की पहचान की। अपहरण के 31 साल से अधिक समय बाद मलिक और नौ अन्य के खिलाफ अदालत ने पिछले साल जनवरी में आरोप तय किए थे।
23 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
सेठी के मुताबिक सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय की गई है। अगली तारीख पर रूबिया भी मौजूद रहेंगी। यासीन मलिक ने क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए खुद को व्यक्तिगत तौर पर जम्मू ले जाने की मांग की है। हालांकि यासीन को जम्मू लाया जाएगा या नहीं, इस बात की जानकारी नहीं मिली है।
अस्पताल से अपने घर लौट रही थीं रूबिया
रूबिया सईद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में 8 दिसंबर 1989 को स्नढ्ढक्र दर्ज कराई गई थी। स्नढ्ढक्र की कॉपी के मुताबिक, वे एक ट्रांजिट वैन में श्रीनगर के एक अस्पताल से अपने घर नौगाम के लिए जा रही थीं। वे एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद अस्पताल में इंटर्नशिप कर रही थी।
वैन लाल चौक से होते हुए जब चानपूरा चौक के पास पहुंची। उसमें सवार 3 लोगों ने बंदूक के दम पर वैन को रोक लिया और रूबिया का अपहरण कर लिया। रिहाई के बदले छ्व्यरुस्न (जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) ने 5 आतंकियों हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा करने की शर्त रखी थी। शर्त पूरी होने के बाद ही रूबिया को छोड़ा गया।
यासीन मलिक पर कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप
यासीन मलिक एक अलगाववादी नेता है और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट से जुड़ा है। वह कश्मीर की राजनीति में हमेशा से ही सक्रिय रहा है। उस पर युवाओं को भडक़ाने और हाथों में बंदूक लेने के लिए प्रेरित करने का आरोप है।