नई दिल्ली:16 JUNE UP में प्रशासन की तरफ से चल रहे बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है और तीन दिनों में जवाब मांगा है. फिलहाल बुलडोजर रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया गया है. इस मामले की सुनवाई अब मंगलवार को होगी. आज जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने मामले की सुनवाई की
कोर्ट ने सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए 3 दिन का समय दिया है। हलफनामा में इमारतें ढहाने से जुड़ी जानकारी मांगी गई है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा- ‘कानून के हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए। यूपी सरकार तय करे कि इस दौरान कोई अनहोनी न हो।’
हालांकि कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा- ‘बिना नोटिस बुलडोजर कार्रवाई नहीं हो सकती है, लेकिन कोर्ट बुलडोजर की कार्रवाई पर रोक नहीं लगा सकता है। बस सरकार को कानून के अनुरूप कार्रवाई करने के लिए कह सकता है।’ अब 21 जून को सुनवाई होगी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच जमीयत की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दाखिल की थी याचिका
योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने याचिका दाखिल की है। जमीयत की मांग है कि बुलडोजर की कार्रवाई को रोका जाए। अवैध रूप से घरों में तोड़फोड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाए। सुनवाई के दौरान जमीयत ने कहा कि सरकार ने बिना नोटिस दिए बुलडोजर की कार्रवाई की है।
जावेद का नहीं मकान, उसकी पत्नी को मिला था गिफ्ट
दरअसल, प्रयागराज में पुलिस ने 10 जून को हुई हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप नाम के शख्स को बताया था। इसके बाद प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अफसरों ने जावेद के मकान को अवैध बताते हुए ढहा दिया था। जमीयत का आरोप है कि अफसरों ने बिना कानूनी प्रक्रिया के मनमाने ढंग से जावेद का घर ढहाया है।
याचिका में लिखा गया है कि जिस मकान को प्राधिकरण ने ढहाया है। उसका मालिक जावेद नहीं, बल्कि उसकी बीवी परवीन फातिमा का है। यह घर परवीन को शादी से पहले उनके माता-पिता ने गिफ्ट किया था। चूंकि जावेद का ये मकान नहीं है। इसलिए उस मकान को गिराए जाना कानून के खिलाफ है।
परिवार ने ध्वस्तीकरण को बताया था असंवैधानिक
प्राधिकरण ने दावा किया था कि इमारत को अवैध तरीके से बनाया गया था। मई में नोटिस जारी होने के बाद भी जावेद सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुआ था। हालांकि, उनके वकीलों ने कहा था कि परिवार को केवल शनिवार की देर रात (मकान गिराए जाने से पहले की रात) को नोटिस की एक कॉपी मिली थी।
सुप्रीम कोर्ट पूर्व जज और एडवोकेट्स ने भी लिखा था लेटर
यूपी में जुमे की नमाज के बाद हिंसा और उसके बाद हुई कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जज समेत 12 लोगों ने बीते मंगलवार को चीफ जस्टिस को लेटर लिखा था। इसमें यूपी में प्रदर्शनकारियों को अवैध रूप से हिरासत में लेने, घरों पर बुलडोजर चलाने और पुलिस हिरासत में कथित मारपीट की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया।
पत्र में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का मौका नहीं दिया गया। इसकी बजाय उत्तर प्रदेश के राज्य प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने की मंजूरी दी है। पत्र में यह कहा गया है कि यूपी पुलिस ने 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और विरोध करने वाले नागरिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें यह देखा गया है कि पुलिस हिरासत में युवकों को लाठियों से पीटा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों के घरों को बिना सूचना के बुलडोजर से तोड़ा जा रहा है।