बाजारवाद के इस युग में विज्ञापनों का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि कभी कभी तो उत्पादन लागत से कहीं ज्यादा खर्च कंपनियां अपने उत्पाद के विज्ञापनों पर कर देती हैं । विज्ञापन ग्राहकों को आकर्षित करने का एक सशक्त माध्यम माना जाता है लेकिन कई ऐसे विज्ञापन प्रसारित किए जाते हैं जिनको लेकर बवाल मच जाता है। ऐसे आपत्तिजनक विज्ञापन प्रसारित करने वाली कंपनियां भले सरकार के आदेश के बाद या जनाक्रोश को देखते हुए उन विज्ञापनों को वापस दे देती हैं लेकिन तब तक उनका काम हो जाता है । उन विज्ञापनों के जरिए कंपनियां और उनके उत्पाद पूरे देश में चर्चा में आ जाते हैं। इस समय एक ऐसे ही विज्ञापन को लेकर बवाल मचा हुआ है । एक ब्रांड ने एक ऐसा विज्ञापन जारी किया है जो सामूहिक बलात्कार को उकसाने वाला प्रतीत होता है। आश्चर्य इस बात का है कि कंपनियों को ऐसे बेहद आपत्तिजनक विज्ञापन जारी करने का साहस कैसे हो जाता है। सोशल मीडिया में आपत्तियां जताए जाने के बाद सरकार हरकत में आई और उस विज्ञापन को हटाने का आदेश दिया गया। ट्विटर, यू ट्यूब को भी अपने-अपने सोशल मीडिया मंच से उस विवादित विज्ञापन के वीडियो हटाने को कहा गया है। लेकिन यहां एक बार फिर इस कंपनी ने अपना मकसद पूरा कर लिया। उस कंपनी और उसके उत्पाद की खूब चर्चा हो रही है। वीडियो हटाये जाने के पहले उस आपत्तिजनक विज्ञापन के वीडियो खूब शेयर किए जाने लगे जैसे ही इसके बारे में पता चला अचानक इन विज्ञापनों का हिट कई गुना बढ़ गया। दर्शन ऐसे विज्ञापन जारी करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ होता नहीं। ऐसे आपत्तिजनक विज्ञापन जारी करने वालों पर यदि कानून का डंडा चलेगा तो ऐसे विज्ञापनों को जारी करने के पहले वे ं सौ बार सोचेंगे। विज्ञापन से साफ है कि शॉट लगाने की बात करने वाले लडक़े विज्ञापन में दिख रही लडक़ी को टारगेट कर रहे हैं ।हो सकता है कि कंपनी कानूनी दांवपेच में अपने आप को पाक साफ साबित भी कर दें लेकिन जिस तरीके से एक लडक़ी को टारगेट किया गया वह बेहद आपत्तिजनक और घृणित और कुंठित मानसिकता को दर्शाने वाला है। ऐसे विज्ञापन तैयार करने के पहले कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। कई विशेषज्ञों ने इसे देखा होगा। इस विज्ञापन के पीछे की कंपनी की मंशा साफ है। यह कोई चूक नहीं है बल्कि सोच समझकर किया गया गंभीर अपराध है। इसे यूं ही छोड़ देना यानी कि भविष्य में इस तरह के और विज्ञापनों को आमंत्रण देने का द्वार खोलने जैसा होगा। इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसा करने वालों को ऐसा दंड दे कि कोई भी भविष्य में इस तरह के गंभीर अपराध करने का साहस नहीं करे। दुर्भाग्य है कि जब कभी किसी की भावना को ठेस पहुंचाने वाले ऐसे आपत्तिजनक विज्ञापन जारी किए जाते हैं तो उनके समर्थक में भी कई लोग अभिव्यक्ति की आजादी का नाम देते हुए दुहाई देते हुए खड़े हो जाते हैं ।यही इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है।