आंदोलनकारियों के चिह्नितीकरण का काम शुरु मिलेंगी 3500, 5000 व 7000 रुपये तक पेंशन, सीएम ने कहा- जब राज्य में विकास ने रफ्तार पकड़ी, तो पीछे लगा दी जांच एजेंसियां

रांची: शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आंदोलनकारियों के चिह्नितीकरण के काम को हरी झंडी दिखायी अलग राज्य के गठन में झारखंड को पहचान दिलाने में जिन- जिन आंदोलनकारियों ने महती भूमिका निभायी थी, उनके चिह्नितीकरण का काम हेमंत सोरेन की सरकार नये सिरे से शुरू करेगी.. मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों में चिह्नितीकरण का काम काफी जटिल था. लेकिन अब राज्य में नये तरीके से आंदोलनकारियों को चिह्नित किया गया है. चिह्नितीकरण के साथ सरकार वैसे आंदोलनकारियों को पेंशन भी देगी, ताकि वे सम्मान के साथ जी सकें. यह पेंशन 3500, 5000 और 7000 रुपये तक की होगी. इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन भी उपस्थित थे. मौके पर आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के लोगो और नये आवेदन प्रपत्र का किया भी लोकार्पण किया गया.

कार्यक्रम में 500 आंदोलनकारी और उनके परिजन आये

हालांकि कार्यक्रम की शुरुआत तो काफी अच्छी रही, पर जब गुरुजी सभा को संबोधित कर रहे थे, तो उपस्थित कई आंदोलनकारियों ने काफी कम पेंशन दिये जाने का विरोध करते हुए हंगामा भी किया. कार्यक्रम में झारखंड आंदोलनकारी आयोग के अध्यक्ष दुर्गा उरांव, मंत्री बादल पत्रलेख, खिजरी विधायक राजेश कच्छप, गिरीडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, सीएम के सचिव विनय चौबे सहित कई लोग उपस्थित थे. कार्यक्रम में करीब 500 आंदोलनकारी और उनके परिजन पहुंचे थे.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दर्द उनके संबोधन में छलक पड़ा। यह दर्द पिछले कुछ दिनों से राज्य में चल रही आरोप-प्रत्यारोप, जांच व छापेमारी का था। उन्होंने मौके पर मौजूद आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे भले ही बतौर मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें संबोधित करने जा रहे हैं, लेकिन उनकी पहचान एक आंदोलनकारी के पुत्र के रूप में है। इससे बड़ी पहचान और कुछ नहीं। सरकार बनने के बाद कोरोना उनकी झोली में आया। दो-ढाई साल तक यूं ही तड़पते रहे। आज जब राज्य में विकास ने रफ्तार पकड़ी तो गति धीमा करने के लिए संवैधानिक संस्थाएं लगा दी गई। इसकी चिंता उन्हें नहीं है। वे लडऩे वाले लोग हैं और इस लड़ाई को भी जीतेंगे। हम अमन पसंद हैं। लेकिन लड़ाई में हमने पीठ नहीं दिखाई है। राजनीतिक रूप से यह राज्य आगे बढ़ेगा ही, शैक्षणिक व्यवस्था से आने वाली पीढ़ी को भी सरकार मजबूत करने जा रही है। राज्य में पांच हजार से अधिक माडल स्कूल को डीपीएस व डीएवी टक्कर का बनाने की तैयारी है। मौके पर अतिथियों ने आयोग का लोगो लांच किया और शिकायत प्रपत्र का विमोचन किया।
सीएम ने कहा कि आज हम जिस झारखंड की बात करते हैं, वह काफी लंबे आंदोलन और शहादत के बाद मिला है. इसके लिए कई आंदोलनकारियों ने अपने जीवन गंवाये. जब गुरुजी की लंबी लड़ाई के बाद झारखंड राज्य का गठन हुआ, तो आंदोलनकारियों को सम्मान देने की बात हुई. लेकिन जटिल प्रक्रिया के कारण यह काम शुरू नहीं हो पाया. पहले केवल 2000 आंदोलकारियों को सम्मान दिया गया. पर अधिकतर आंदोलनकारी सम्मान से वंचित रह गये थे.
केंद्र बकाये का सिर्फ ब्याज भी मिले, तो हम राज्य को बेंगलुरु जैसा बना देंगे

इस दौरान सीएम ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा. कहा कि झारखंड खनिज बहुल राज्य है. यहां के खनिज से ही देश चल रहा है. लेकिन हकीकत यह भी है कि राज्य के लोगों की स्थिति काफी खऱाब है. आजादी के बाद से अब तक 1.36 लाख करोड़ रुपये केंद्र पर बकाया है. मूलधन तो छोडय़िे, केंद्र अगर बकाया राशि का केवल ब्याज ही दे दे, तो हमारी सरकार राज्य को बेंगलुरु और हैदराबाद जैसा बनाने से पीछे नहीं रहेगी.

कितनी मिलेगी पेंशन, क्या है अर्हता

बता दें कि हेमंत सरकार ने फैसला किया है कि पुलिस फायरिंग या जेल में मृत या दिव्यांग (40 प्रतिशत से अधिक) हुए आंदोलनकारियों के आश्रित परिवार के एक सदस्य को राज्य सरकार के तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों पर सीधी नियुक्ति दी जायेगी. अन्य आंदोनकारियों के एक आश्रित के लिए तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय पदों पर सरकारी नियुक्ति में 5 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलेगा. जेल में संयमन एवं मृत्यु होने पर आंदोलनकारी या उनके एक आश्रित को जीवनकाल तक सम्मान पेंशन दी जायेगी.
यह पेंशन तीन तरह से दी जायेगी

पहला – जेल में 3 माह से कम रहने पर 3500 रुपये प्रतिमाह

दूसरा – 3 माह से 6 माह के बीच रहने पर 5000 रुपये प्रतिमाह

तीसरा – 6 माह से अधिक रहने पर 7000 रुपये प्रतिमाह
आंदालनकारी परिवार के ये लोग होंगे लाभ के हकदार

आंदोलनकारियों के अंतर्गत झारखंड आंदोलन में योगदान देने वाले सभी लोग एवं उनके आश्रित, आश्रित की श्रेणी में संबंधित आंदोलनकारी की पत्नी, पुत्री, अविवाहित पुत्री, पुत्र की विधवा पत्नी, आंदोलनकारी महिला के पति, आंदोलनकारी के पौत्र, पौत्री शामिल होंगे.
लाभ लेने वाले लाभुक को आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के राज्य स्तरीय कार्यालय और संबंधित जिले के डीसी ऑफिस में आवेदन देने होंगे.

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