प्राचीन धार्मिक आस्था का प्रतीक है रोहिन पर्व : हरेलाल
चांडिल : नीमडीह प्रखंड अंतर्गत लाकड़ी गांव में आयोजित तीन दिवसीय ऐतिहासिक रोहिन मेला में रविवार को जनसैलाब उमड़ा। इस मेला का आरंभ हजारों साल पहले हुआ है। तीन दिन तक पारंपरिक तरीके से मेला स्थल में स्थित भगवान भोलेनाथ की मंदिर में लाया द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। मेला के दौरान रोहिन पर्व के प्रथम दिन के रात में छऊ नृत्य, द्वितीय दिन भोक्ताघुरा व मनोरंजन के लिए पांता नाच, सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, तृतीय दिन भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा श्रद्धालु व दर्शकों को मनोरंजन किया जाता है। मेला में झारखंड व पश्चिम बंगाल से हजारों की संख्या में लोग आते हैं।
मेला में उपस्थित मुख्य अतिथि आजसू के केंद्रीय सचिव सह जनसेवा ही लक्ष्य के संस्थापक हरेलाल महतो ने जनसैलाब को संबोधित करते हुए कहा कि प्राचीन धार्मिक आस्था का प्रतीक है रोहिन पर्व। उन्होंने कहा कि धार्मिक शास्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में सृष्टि के रचनाकार त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश्वर जी द्वारा सृष्टि का रचना किया गया था। इसलिए रोहिणी नक्षत्र में आयोजित रोहिन मेला का विशेष धार्मिक महत्व है। उन्होंने कहा कि रोहिणी नक्षत्र के शुभ मुहूर्त में अन्नदाता किसानों द्वारा धान बुआई का शुभारंभ किया जाता है। धान को हम सभी माता लक्ष्मी के रूप में मानते हैं। उन्होंने कहा कि रोहिन पर्व में भगवान शिव जी का विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि रोहिणी नक्षत्र में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर जो भी मन्नतें मांगी जाती है निश्चित रूप से पूरा होता है। इस अवसर पर लक्ष्मीकांत महतो, पूर्व मुखिया शिवराम मोदी, अनिल माझी, भुवन लोहार, शंकर सिंह, बंक बिहारी महतो, सुभाष महतो आदि उपस्थित थे।