भारत में जल्द ही महंगे खाने के तेल के दामों में कमी आ सकती है. इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने के अपने फैसले को वापस लेने का ऐलान किया है. 23 मई से पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर लगाये गए बैन को हटा लिया जाएगा. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति Joko Widodo ने इस बात की घोषणा की है. इंडोनेशिया ने ये फैसला पाम ऑयल सेक्टर में काम करने वाले 17 मिलियन यानि 1.70 करोड़ लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया है.
45 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से
भारत हर वर्ष करीब 13 से 13.50 मिलियन टन खाने के तेल का आयात करता है. जिसमें 63 फीसदी हिस्सेदारी यानि 8 से 8.50 मिलियन टन पाम ऑयल की हिस्सेदारी है. 63 फीसदी आयात किए जाने पाम ऑयल में 45 फीसदी इंडोनेशिया से आयात किया जाता है. महंगे कीमतों के चलते 2021-22 में खाने के तेल का आयात 1.5 मिलियन टन से घटकर 1.3 मिलियन टन रह गया. फिर भी कीमतों में उछाल के चलते 2021-22 में खाने के तेल के आयात पर 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा है जबकि उससे पहले साल में 82,123 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा था. पाम ऑयल दुनिया में सबसे अधिक खपत होने वाला खाना पकाने का तेल है, जो वैश्विक खपत का 40 फीसदी है. इसके बाद सोया तेल की बारी आती है जिसकी खपत 32 फीसदी और उसके बाद सरसों (या कैनोला) की जिसकी खपत 15 फीसदी है.
28 अप्रैल से लगाया था प्रतिबंध
दरअसल 28 अप्रैल से इंडोनेशिया ने पाम तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया था. जिसके चलते पाम ऑयल के दामों में तेजी उछाल देखने को मिली थी. इंडोनेशिया पाम ऑयल के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है तो भारत दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल-खास तौर पर पाम तेल और सोया तेल के आयातक देशों में शामिल है. इंडोनेशिया के इस फैसले से भारत को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी जहां पहले से ही खाने के तेल के दामों में आग लगी है. भारत को पहले से वैसे ही रूस यूक्रेन युद्ध के चलते सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई बाधित से परेशान था. इंडोनेशिया ने पाम ऑयल पर बैन लगाकर और मुसीबत बढ़ा दिया था.