झारखंड के निजी अस्पतालों पर करोड़ों का बकाया , आयुष्मान योजना बंद करने की चेतावनी

छह माह से नहीं हुआ भुगतान

्ररांची: आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत मरीजों का इलाज करने के बाद निजी अस्पतालों का करोड़ों रुपये का बकाया हो गया है। अस्पतालों का कहना है कि लगभग छह माह से उन्हें इलाज के बदले भुगतान नहीं हुआ है। इससे उनके समक्ष इस योजना के तहत इलाज बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं है। निजी अस्पतालों की ओर से आइएमए, झारखंड तथा हास्पिटल बोर्ड आफ इंडिया ने संयुक्त रूप से विज्ञप्ति प्रकाशित कराकर कहा कि पिछले छह माह से स्वीकृति प्राप्त आवेदनों पर भी चिकित्सा के बाद राशि अस्पतालों को नहीं मिल रही है। इस अवधि में अधिसंख्य अस्पतालों को शून्य या आंशिक आवंटन प्राप्त हुआ है। ऐसी परिस्थिति में अस्पतालों को अत्यंत आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में निकट भविष्य में इसके अस्तित्व पर ही संकट उत्पन्न हो जाएगा।
कहा है कि अस्पताल आर्थिक कठिनाइयों के कारण स्तरीय चिकित्सा सुविधा देने में असमर्थ हो रहे हैं। दोनों संस्थाओं ने चेतावनी दी है कि अस्पतालों को मजबूरी में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत मरीजों का इलाज बंद करना पड़ सकता है। इसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ेगा। दोनों संस्थाओं ने राज्य सरकार से शीघ्र बकाया भुगतान करने तथा पूर्व की तरह नियमित भुगतान की मांग की है। बताया जाता है कि बीमा कंपनी के चयन में देरी होने तथा कंपनी को
प्रीमियम की राशि मिलने में देरी से अस्पतालों को भुगतान नहीं हो सका। इस बीच, कई अस्पतालों के दावों की भी जांच होती रही। कुछ अस्पतालों ने बहुत अधिक राशि का दावा किया था, जिनकी जांच चल रही है। हालांकि कुछ अस्पताल संचालकों का कहना है कि दूसरे अस्पतालों का खामियाजा वे क्यों भुगतें।
170 करोड़ रुपये बीमा कंपनी को दिए गए, शीघ्र होगा भुगतान
झारखंड राज्य आरोग्य सोसाइटी के सीईओ भुवनेश प्रताप सिंह ने अस्पतालों के बकाया के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस को 170 करोड़ रुपये का भुगतान प्रीमियम के रूप में कर दिया गया है। वहीं, 30 करोड़ रुपये अस्पतालों को आवंटित भी किए जा चुके हैं। शीघ्र ही अस्पतालों के बकाया राशि का भुगतान हो जाएगा।

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