डा हनीफ की पुस्तक युद्ध और सफ़र: एक उपन्यास

डा हनीफ की पुस्तक युद्ध और सफ़र: एक उपन्यास

Dumka,16 Apr: सत्य घटना पर आधारित डॉ हनीफ की सत्रहवीं पुस्तक युद्ध और सफर बाजार में आ रही है। यह एक बेहतरीन थ्रिलिंग उपन्यास है जो यूरोपीय देशों में व्याप्त वर्तमान हालात पर आधारित है। छत्तीसगढ़ से प्रकाशित इस उपन्यास में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे डा हनीफ के सुपुत्र यूक्रेन के युद्ध में रोमानिया के बॉर्डर पर दो दिन तीन रात माइनस छह डिग्री सेल्सियस के तापमान पर खड़ा व्यतीत करते हैं। विद्यार्थियों को हाइपो थर्मिया हो रहा है।कई लोग भूख से व्याकुल हैं।बॉर्डर पर झड़पें शुरू हो गई है।एक युवक जो उपन्यास का मुख्य नायक है, बेहोश गिरा पड़ा है।माथे से खून निकलते ही जम जा रहा है।देश आने की प्रत्याशा में रह रहे स्थल पर बम के गोले और मिसाइल की बौछारों की यादें स्मृति पटल पर आती जा रही हैं। कथा और भी अधिक रोमांचक स्थिति में पहुंच जाती है जब उपन्यास की नायिका एडा उसे रात भर अपने मुंह के भाप से सेंकती रहती है और अपनी हथेली से उनके पांव को रगड़ते हुए बेहोशी की हालत में शरीर को गर्म रखती है। जाति,धर्म समुदाय से ऊपर उठकर नैसर्गिक प्रेम को दर्शाती हुई एडा अपनी जान को खुद जोखिम में डालकर बचाती है। एक मोड़ पर आकर कहती है;
नहीं,एम, नहीं।प्रेम एक तपस्या है,एक आशक्ति है,एक समर्पण है,एक आदर्श संबंध है,जो प्लेटोनिक है। मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती ,क्योंकि मैं तुम्हें अपना गुलाम बनाना नहीं चाहती। मैं तुम्हें बादशाह के रूप में देखना चाहती हूं और मुझे पाकर
तुम गुलाम हो जाओगे।प्रेम खोने का नाम है।पाना तो प्राप्ति है,जो कहीं न कहीं बहुत दूर जाकर दूषित हो जाता है। युद्ध के सफर में एम अपने आप को खोया पाता है और कहता है” अफसोस यह युद्ध खत्म नहीं हो सका और सफर ,हमसफर नहीं।
कथा का पुट,शब्दों और वार्तालाप का समंजन एक नवजीवन का संदेश देता हुआ त्रासदी और मानवीय मूल्यों को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है डा हनीफ सम्प्रति महिला महाविद्यालय में बतौर अंग्रेजी के सहायक पद पर कार्यरत हैं।अंतर्राष्ट्रीय फलक पर उनकी कई कहानियां और कविताएं प्रकाशित हैं।दो दर्जन से भी अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त डा हनीफ झारखंड की एक पहचान है। हिंदी और अंग्रेजी में समान रूप से लिखनेवाले लेखक की पुस्तक, कहानी,कविताएं,कनाडा, नीदरलैंड,अमरीका,बांग्लादेश,नाइजीरिया,पोलैंड,दक्षिण अफ्रीका,नेपाल, भूटान,मलेशिया,इंग्लैंड,इंडोनेशिया आदि देशों में प्रकाशित होकर अपना स्थान बना चुकी है।हल्दी के रंग,काली बछिया,सलाखों में बंद,दर्द कहूं या पीड़ा,रोजरी ऑफ पोएजी,सिलेक्टेड पोएम्स,अरुण कोलाटकर्स जेजुरी ए क्रिटिकल स्टडी,आई एंड माई मदर ए गॉस्पेल,( दक्षिण अफ्रीका से प्रकाशित) महत्वपूर्ण रचनाएं हैं।

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