पुरी
ओडिशा के जगन्नाथपुरी मंदिर की महारसोई के 40 चूल्हे टूटे हुए मिले। घटना का पता रविवार सुबह चला, जब सकल धूप प्रसाद बनाने के लिए रसोईघर खोला गया। पुलिस और मंदिर प्रशासन मामले की जांच कर रहा है। इस घटना के बाद महाप्रसाद मिलने में थोड़ी दिक्कत होगी, लेकिन चूल्हों को दो दिन के अंदर सही कर लिया जाएगा।
चूल्हे टूटे तो देर से लगा भोग
रोसाघर के 40 चूल्हों के टूटने से भगवान जगन्नाथ मंदिर की परंपराओं पर बहुत ज्यादा असर तो नहीं हुआ, लेकिन रविवार सुबह के समय लगने वाला ‘सकल धूप’ भोग आधा घंटे की देरी से बन सका। पुरी कलेक्टर समर्थ वर्मा के मुताबिक मामले की जांच जारी है, आरोपी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही दोषियों की पहचान के लिए CCTV फुटेज की जांच भी होगी।
चूल्हे तोड़ने में हो सकता है सेवादारों का हाथ
मंदिर प्रशासन के मुताबिक इस घटना में सेवादारों का हाथ ही हो सकता है, क्योंकि केवल सुआरा (भोजन बनाने वाले) को ही रसोईघर में एंट्री मिलती है। इसलिए शनिवार की रात ही किसी ने पारंपरिक भोज बनने के बाद चूल्हे तोड़े होंगे। इस घटना ने मंदिर की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
20 मार्च से सातों दिन खुल रहा मंदिर
जनवरी 2022 में तीसरी लहर के दौरान लगभग 21 दिनों तक बंद रहने के बाद 12वीं सदी के मंदिर को 21 फरवरी से जनता के लिए खोल दिया गया था। पहले मंदिर सोमवार से शनिवार सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुलता था, लेकिन 20 मार्च से रविवार को भी खुलने लगा है। वहीं दर्शन करने वालों के लिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट या RTPCR निगेटिव रिपोर्ट की जरूरत नहीं है।
महारसोई रोसाघर से जुड़ी खास बातें
रसोई घर में 32 कमरे हैं। यह रसोई एक एकड़ में फैली है।
यहां हर दिन करीब 300 क्विंटल चावल बनाया जाता है। जिसे महाप्रसाद कहते हैं।
रोसाघर में 240 चूल्हे हैं, जिन पर खाना बनाने की अनुमति केवल सुआरा (रसोईया) को होती है।
ये सभी चूल्हे और प्रसाद बनाने वाले बर्तन मिट्टी के होते हैं।
रोसाघर में 400 रसोईए और उनके 200 असिस्टेंट ही महाप्रसाद बना सकते हैं।
महाप्रसाद पूरी तरह शाकाहारी होता है, इसमें लहसुन, प्याज, आलू, टमाटर, लौकी, गोभी का इस्तेमाल नहीं होता।
महाप्रसाद केवल रोसाघर में ही बने दो कुओं गंगा-जमुना के पानी से बनाया जाता है।