रांची, ो। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में गुरुवार की दूसरी पाली आरक्षण के मुद्दे पर गरम रही। भारी हंगामा व विपक्ष के शोर-शराबे के बीच दो विधेयक ध्वनि मत से पारित हो गए। आरक्षण के आधार पर एससी एसटी को प्रोन्नति संबंधित विधेयक विपक्ष को रास नहीं आया। पूरा विपक्ष आसन के सामने पहुंच गया। आसन के सामने ही आरक्षण के आधार पर प्रोन्नति संबंधित विधेयक की प्रतियां फाडक़र सदन में लहरा दिया। भाजपा के विधायक इस बात पर अड़े हुए थे कि ओबीसी की गर्दन काटकर आरक्षण देना उन्हें मंजूर नहीं है। वे एससी एसटी को आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। विपक्ष सरकार विरोधी नारेबाजी करता रहा। हंगामे के बीच विधानसभा में राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता का विस्तार विधेयक-2022 और झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 पारित हो गया। झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक सदन से स्वीकृत होने से पहले ही विपक्षी विधायकों ने सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए सदन का बहिष्कार कर दिया।
राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष विधेयक के विरोध में एकजुट था और इसे प्रवर समिति के भेजने की मांग कर रहा था। भाजपा विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा कि यह विधेयक आनन-फानन में लाया गया है। सरकार ऐसी विधेयक क्यों लाती है, जिसे राज्यपाल वापस कर देते हैं। पूर्व में कई विधेयक राजभवन से ही वापस हो चुके हैं। इस विधेयक में भी कई त्रुटियां हैं। विधायक अमित कुमार मंडल ने कहा कि एससी एसटी को आरक्षण का लाभ मिले, लेकिन ओबीसी की गर्दन को काटकर आरक्षण मिले, यह नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार बताए कि इस विधेयक में ओबीसी के लिए क्या-क्या प्रविधान किया गया है। विधायक डा. लंबोदर महतो ने कहा कि जब आरक्षण का मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो उसे सरकार सदन में कैसे ला सकती है। इस विधेयक में परिणामी वरीयता की परिभाषा भी स्पष्ट नहीं है। विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि 14 फीसद कोटा जो ओबीसी को मिलता था, उसे इस बिल में खत्म किया गया है। विपक्ष ने सदन से इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया। विधायक विनोद कुमार सिंह ने इस विधेयक पर अपनी सहमति दी। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने जैसे ही यह जानकारी दी कि पूरे अध्ययन के बाद इस विधेयक को सदन के पटल पर रखा गया है। इस बिल को लाने से रुकी हुई प्रोन्नति शुरू हो जाएगी। विधेयक में परिणामी वरीयता की परिभाषा जोड़ी जाएगी। सदन में जैसे ही बिल स्वीकृत हुआ, विपक्ष हंगामा करने लगा और आसन के सामने जाकर सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए बिल की प्रतियां फाड़ डाली।
या है दोनों विधेयक
राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता का विस्तार विधेयक 2022 : सरकार ने प्रोन्नति में एससी-एसटी को आरक्षण मामले में विभागीय जांच समिति से पूरे मामले की जांच कराई। विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि राज्य में अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों की राज्य की सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। समिति ने यह भी स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों को पदोन्नति में आरक्षण देने से प्रशासन की दक्षता बाधित नहीं हुई है। रिपोर्ट के निष्कर्ष से राज्य सरकार संतुष्ट हुई और इस उद्देश्य पर पहुंची कि एससी एसटी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के लिए ही यह अधिनियम लाया गया है।