रांची 24 march गुरुवार को रांची व्यवहार न्यायालय ने हजारीबाग जिले के बहुचर्चित बड़कागांव गोलीकांड मामले में अपना फैसला सुना दिया। झारखंड के चिरुडीह गोली कांड मामले में राज्य के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी को अदालत ने 10- 10 साल की सजा सुनाई है। रांची सिविल कोर्ट के अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट ने सजा सुनायी है। अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई गई है। जुर्माना भी लगाया गया है। पूर्व मंत्री की बेटी एवं बड़कागांव से कांग्रेस की वर्तमान विधायक अंबा प्रसाद ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील में जाएंगी। दोनों को साजिश के तहत फंसाया गया। कंपनियों की ओर से जमीनों की लूट के खिलाफ आवाज उठाने की सजा मिली है।
सुनवाई के दौरान विधायक अंबा प्रसाद ने कोर्ट से अपील की कि उनके माता-पिता को कम से कम सजा दी जाए। विधायक ने यह भी कहा कि योगेंद्र साव एवं निर्मला देवी अपने स्वार्थ को लेकर आंदोलन नहीं कर रहे थे। वो लोग जनप्रतिनिधि होने के नाते जनता की आवाज बुलंद कर रहे थे। पूर्व के बीजेपी सरकार के मुखिया के इशारे पर अधिकारियों ने पूरी तरीके से माता पिता को फंसाया। यह भी कहा कि हुजूर अगर इसी तरह जनप्रतिनिधि को टारगेट किया जाएगा तो कोई भी जनप्रतिनिधि जनता की आवाज बनने से पहले सौ बार सोचेंगे।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पेश हुए योगेंद्र साव ने भी अदालत से कुछ कहने की छूट देने की अपील की। इस पर अदालत ने उन्हें बोलने का अवसर प्रदान किया। योगेंद्र साव ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत उसे फंसाया है। यह भी कहा कि अधिकारियों ने सुनवाई के दौरान एक गवाही नहीं कराई।
इससे पहले अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने 22 मार्च को दोनों को दोषी करार दिया था। वहीं अदालत ने साक्ष्य के अभाव में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के बेटा अंकित को बरी कर दिया था। इस मामले में निर्मला देवी और योगेंद्र साव जेल में हैं। योगेंद्र साव और निर्मला देवी की बेटी विधायक अंबा प्रसाद गुरुवार को न्यायालय पहुंची थीं।
कफन सत्याग्रह कर रही पूर्व विधायक के हिरासत में लेते ही भड़क गई हिंसा
बड़कागढ़ के चिरूडीह के खनन क्षेत्र में एनटीपीसी को जमीन दी गई गई थी। एनटीपीसी अधिग्रहित क्षेत्र से कोयला खनन कर रहा था। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव व तत्कालीन विधायक निर्मला देवी अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे। 15 सितंबर 2016 को निर्मला देवी अपने समर्थकों के साथ कफन सत्याग्रह पर बैठ गई। यह सत्याग्रह 30 सितंबर तक जारी रहा। इस कारण उत्खनन कार्य अवरुद्ध हो गया। एक अक्टूबर की सुबह छह बजे एएसपी कुलदीप कुमार, सीओ शैलेश कुमार सिंह अन्य पुलिस अधिकारी व जवानों के साथ मौके पर पहुंचे। सत्याग्रह कर रहे लोगों को विरोध समाप्त करने की अपील की। नहीं मानने पर पुलिस बल ने विधायक निर्मला देवी को हिरासत में ले लिया। इसके बाद पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई। भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला कर विधायक को छुड़ा लिया था। हिंसा में एसएसपी कुलदीप, सीओ शैलेश कुमार सिंह सहित कई अधिकारी व जवान घायल हो गए। वहीं, विरोध प्रदर्शन कर रहे चार लोगों की भी मौत हो गई। आनन-फानन में घायल अधिकारियों को एयरलिफ्ट कर रांची के मेडिका अस्पताल लाया गया। वहीं, दो अक्टूबर 2016 को बड़कागांव में प्राथमिकी दर्ज कराई गई जिसमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी एवं अंकित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।