पटना : बिहार विधानसभा में सोमवार को जिस तरह की कार्यवाही देखने को मिली, शायद ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार विधानसभा अध्यक्ष पर जमकर बरसे। समाज शास्त्र से लेकर राजनीति शास्त्र तक बताने लगे। संविधान का पाठ पढ़ाने लगे।
दरअसल, सोमवार को सदन की कार्यवाही चल रही थी। अचानक नीतीश कुमार सदन में भड़क गए। सीएम इतने गुस्से में थे कि स्पीकर की बात भी नहीं मानी। तब तक बोलते रहे जब तक उनकी बात पूरी नहीं हो गई। हालांकि इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष बार-बार आसन की बात सुनने की आग्रह कर रहे थे, लेकिन सीएम बोलते रहे।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पूरा मामला लखीसराय में 9 लोगों से हत्या से जुड़ा है। बीजेपी विधायक संजय सरावगी सदन में सवाल उठाया। सरकार की ओर से प्रभारी मंत्री विजेन्द्र यादव जवाब दे रहे थे, लेकिन बीजेपी विधायक जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने कहा कि पुलिस दोषियों को बचा रही है। यह पूरा मामला बिहार विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्र का है। शायद यही कारण था स्पीकर विजय सिन्हा भी संजय सरावगी के सवाल पर स्पष्ट जवाब चाहते थे।
इसी बीच नीतीश कुमार सदन में खड़े हो गए और सवाल को ही कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जो मामला न्यायालय में हो उसे सदन में नहीं उठाना चाहिए। यह संविधान के खिलाफ है। इसके बाद नीतीश सदन में जोर-जोर से बोलते हुए कहा कि सरकार न किसी को फंसाती है, न किसी को बचाती है। आगे उन्होंने कहा कि सदन में इस तरह के सवाल उठाकर समय बर्बाद किया जा रहा है।
यही नहीं, नीतीश कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि आप किस तरह से सदन चला रहे हैं। आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जो आज किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी जाती है, उससे आपको क्या मतलब है। इस दौरान नीतीश आसन की ओर कई बार अंगुली उठाते हुए गुस्से में बात की।
कुछ लोग तो अब ये भी कहने लगे हैं कि जिस तरह का बर्ताव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में किया, इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ। हो सकता है कि मुख्यमंत्री ने कभी नहीं किया हो लेकिन उसी सदन में विधानसभा अध्यक्ष को अंगुली तक दिखाई गई है। दिखाने वाला कोई और नहीं, सीएम नीतीश कुमार के मंत्री ही थे।
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी लांघ दी थी सारी सीमाएं
बात एक साल पुरानी है। शायद दिन बुधवार था। आज 14 मार्च है, उस दिन 17 मार्च था। बीजेपी विधायक और बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ दी थी। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि ‘व्याकुल मत होइये’। कुछ देर तो अध्यक्ष महोदय को कुछ समझ में नहीं आया। जब उन्हें समझ में आया तो तुरंत उन्होंने कहा कि शब्द वापस लीजिए, लेकिन मंत्री जी वापस लेने को तैयार नहीं हुए। फिर क्या था अध्यक्ष सदन से बाहर चले गए। बाद में बड़े नेताओं को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
विधानसभा इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था
आज की घटनाक्रम को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि शायद ही कोई मुख्यमंत्री इस तरह विधानसभा अध्यक्ष को ऐसे बोला होगा, लेकिन सम्राट चौधरी ने जो किया था, वह विधानसभा इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था। विधानसभा अध्यक्ष और मंत्री के बीच विवाद देखने को मिला था। जिस तरह सोमवार को देखने को मिला। हालांकि आज विधानसभा अध्यक्ष सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की, लेकिन उस दिन उन्होंने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी थी। यही नहीं, दूसरी बार जब कार्यवाही शुरू हुई तो विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं आए थे। उनके स्थान पर जेडीयू विधायक नरेन्द्र यादव ने सदन की शुरुआत की थी। हालांकि कुछ सेकेंड बाद ही फिर से सदन को स्थगित कर दिया गया था।