Ranchi,23 Feb : कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.राजनीतिक मंथन के बाद गठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल शुरू हो गया है. कांग्रेस ने सरकार को आईना दिखाते हुए सरकार की चिंता बढ़ा दी है.अब कांग्रेस बैकफुट पर खेलने के बजाय फ्रंटफुट पर खेलने के लिए तैयार नजर आ रही है. चिंतन शिविर में स्वास्थय मंत्री बन्ना गुप्ता के तल्ख तेवर इसकी बानगी है.
क्यों नाराज है कांग्रेस
दरअसल, हाल के दिनों में सरकार ने कई ऐसे नीतिगत फैसले लेने से पहले कांग्रेस के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं किया. बात चाहे नियुक्ति नियमावली में फेरबदल की हो या जेएमएम द्वारा भाषायी विवाद को हवा देने की. सरकार ने गठबंधन में होने के बावजूद कांग्रेस से इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की, जिससे कांग्रेस खुद को अपमानित महसूस कर रही है. शायद यही वजह है कि अब प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता भी बोलने से नहीं कतरा रहे है.
प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अब कोऑर्डिनेशन कमिटी का अध्यक्ष कांग्रेस का ही होना चाहिए. साथ ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय करना जरूरी होगा. कांग्रेस ने चिंतन शिविर के बहाने खुद की सरकार में एक लकीर खींच दी है. यह लकीर गठबंधन को साथ ले कर चलने की है. अगर जेएमएम आने वाले समय में कांग्रेस के प्रस्ताव से सहमत दिखी तो ऑल इज वेल वाली बात होगी, वरना यही लकीर गठबंधन के अंदर दरार पैदा कर सकती है.