Effect of Chintan Shivir: कांग्रेस की प्रेशर पॉलिटिक्स, सरकार को दिखाया आईना

Ranchi,23 Feb : कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.राजनीतिक मंथन के बाद गठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स का खेल शुरू हो गया है. कांग्रेस ने सरकार को आईना दिखाते हुए सरकार की चिंता बढ़ा दी है.अब कांग्रेस बैकफुट पर खेलने के बजाय फ्रंटफुट पर खेलने के लिए तैयार नजर आ रही है. चिंतन शिविर में स्वास्थय मंत्री बन्ना गुप्ता के तल्ख तेवर इसकी बानगी है.

बन्ना गुप्ता अकेले नहीं हैं जिन्होंने चिंतन शिविर में सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. कांग्रेस विधायक दीपिका सिंह पांडेय ने तो कार्यकर्ताओं के सम्मान का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर प्रहार किया है. दीपिका सिंह ने तो स्पष्ट कर दिया कोरोना काल में काम हमने किया और नाम झामुझो का हुआ. सरकार हमारे काम को भी अपने नाम करने का काम कर रही है. यह गलत है. कांग्रेसियों को इसके लिए सचेत रहने की जरुत है. गिरिडीह के मधुबन के चिंतन शिविर के समापन के बाद जो विरोधाभास उभर कर सामने आए हैं, उन पर एक नजर डालना बहुत जरूरी है. प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की और पार्टी के बड़े नेताओं के द्वारा जो मांग की जा रही है, उसके राजनीतिक मायनों को समझने की जरूरत है.

क्यों नाराज है कांग्रेस
दरअसल, हाल के दिनों में सरकार ने कई ऐसे नीतिगत फैसले लेने से पहले कांग्रेस के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं किया. बात चाहे नियुक्ति नियमावली में फेरबदल की हो या जेएमएम द्वारा भाषायी विवाद को हवा देने की. सरकार ने गठबंधन में होने के बावजूद कांग्रेस से इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की, जिससे कांग्रेस खुद को अपमानित महसूस कर रही है. शायद यही वजह है कि अब प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता भी बोलने से नहीं कतरा रहे है.

प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अब कोऑर्डिनेशन कमिटी का अध्यक्ष कांग्रेस का ही होना चाहिए. साथ ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय करना जरूरी होगा. कांग्रेस ने चिंतन शिविर के बहाने खुद की सरकार में एक लकीर खींच दी है. यह लकीर गठबंधन को साथ ले कर चलने की है. अगर जेएमएम आने वाले समय में कांग्रेस के प्रस्ताव से सहमत दिखी तो ऑल इज वेल वाली बात होगी, वरना यही लकीर गठबंधन के अंदर दरार पैदा कर सकती है.

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